गोपालगंज

गोपालगंज: जीवन के अमल को नष्ट करने व मंगलमय बनाने के लिए मंगलाचरण जरूरी – पुंडरीक जी

गोपालगंज: जीवन के अमल को नष्ट करने व जीवन को मंगलमय बनाने के लिए मंगलाचरण जरूरी है। श्रीमद् भागवत में भगवान के सत्य स्वरूप का ध्यान किया गया है। ध्यान ध्याता और ध्येय में एकत्व होना आवश्यक है। इनमें एकत्व होने पर ही परमानंद की प्राप्ति होती है। ज्ञान, परिपक्व व अवस्था ही समाधि है। निष्काम भक्ति उत्तम है। उक्त बातें पंचदेवरी प्रखंड के गहनी में चल रहे सहस्त्र चंडी महायज्ञ के तीसरे दिन काशी से पधारे कथा व्यास पुंडरीक जी महाराज ने कही।

उन्होंने कहा कि वैष्णव मुक्ति की भी अपेक्षा नहीं करते है। भगवान के भक्त मुक्ति भी नहीं मांगते। भागवत का फल है निष्काम भक्ति। निष्काम भक्त भगवान को प्रसन्न करती है। उन्होंने कहा कि गोपियों की जैसी निष्काम भक्ति करना चाहिए। भागवत का मुख्य विषय है निष्काम। भक्ति भागवत का संबंध भगवान कृष्ण से है। भागवत का अधिकारी कपट रहित ही प्राणी है। भागवत के प्रतिपाद्य भगवान कृष्ण ही हैं। श्रीमद् भागवत में शौनकादि ऋषियों के प्रश्नों का समाधान श्री सूक्त जी ने किया है। और यह बताया कि सर्वोत्तम वास्तु भगवान को अर्पण करना यही भक्ति है। भागवत में श्री कृष्ण की कथा मुख्य है। भगवान के 24 अवतारों की कथा ही भागवतय है। भगवान का अवतार भक्तों पर करुणा करने के लिए होता है। इधर यज्ञ मंडप में यज्ञाचार्य डॉ. पंकज शुक्ल व 21 वैदिक आचार्यों के मंत्रोचार के साथ अरणीमंथन किया गया। अग्नि प्रज्वलित होते ही यज्ञ मंडप के साथ कथा पंडाल यज्ञवत्सल भगवान के जयकारे से गूंज उठा।

मौके परसरपंच संघ के जिला अध्यक्षबृज किशोर दुबे, रत्नेश श्रीवास्तव, अरविंद दुबे, प्रकाश लाल श्रीवास्तव आदि थे।

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