गोपालगंज के विजयीपुर के सहडिगरी उप डाकघर में वर्षों से ताला बंद, लोगों को ही रही काफी परेशानी
गोपालगंज: भारतीय डाक इन दिनों आधुनिकीकरण से गुजर रहा है। वहीं इस बदलते परिवेश में विजयीपुर के सहडिगरी उप डाकघर वर्षों से ताला बंद है। इस डाक घर से विजयीपुर के पश्चिमी हिस्से के लगभग 15 से अधिक गांव आश्रित है। जिनकी जरूरी दस्तावेज इसी डाकघर में आता और ससमय लोगों को नही मिलता है। सबसे बड़ी बात यह है आस पास के नौजवान अपनी नौकरी के लिए आवेदन करते हैं। डाकघर के रवैए से काल लेटर से वंचित रह जाते हैं या निर्धारित समय के पश्चात ही मिलता है। जिससे नौजवानो की भविष्य चौपट हो जाता है।
जब हमारे स्थानीय संवाददाता इस उप डाकघर का दौरा किया तो स्थानीय लोगों ने एवं इसी भवन में संचालित सीएसपी संचालक सत्यम गुप्ता द्वारा बताया कि यह डाकघर वर्षों से बंद पड़ा है और यहां पर कार्यरत प्रेम कुमार पटवा स्थानीय है और दबंग आदमी है और अपने घर से अपने झोले में से संचालित करता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इसके पूर्व लोगों द्वारा प्रधान डाकघर विजयीपुर में शिकायत किया गया था। लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ उल्टे लोगों को डाकपाल सहायक प्रेम कुमार पटवा का कोप भाजन का शिकार होना पड़ा। साथ ही साथ डाकघर में आएं जरूरी दस्तावेज से हाथ धोना पड़ा। अब तो लोग भय से इस विषय पर शिकायत करना भी छोड़ दिए हैं और करे तो किससे।
विजयीपुर के डाकघर में इससे भी बड़ी समस्या रहती है। इस डाक घर में जामा निकासी एक दिन में संभव नहीं होती है इसके लिए कम से कम एक सप्ताह समय लगता है। डाटा एंट्री ऑपरेटर नही है।अनाधिकृत व्याक्तियों के सहारे है यहां की व्यवस्था। जो कभी भी किसी भी खाते में आसानी से सेंधमारी कर सकते हैं। कुछ भी हो डिजिटल युग में विजयीपुर सहित ग्रामीण इलाकों की डाकघरों की स्तिथि दयनीय है। कुछ भी हो सहदिगरी डाकघर के चिट्ठी पत्री यहां जरूरी कागजात जो डाकघर से आने वाली है उसके लिए विजयीपुर के डाकघर में पता करते फिरते हैं। प्रश्र यह भी उठता है कि यहां पर जितने भी कर्मी कार्यरत हैं वह तो वेतन अवश्य लेते होंगे। कार्यालय हेतु सरकार रूम रेंट भी देती है फिर भी डाकघर संचालन नहीं होना काफी चिंताजनक है।