गोपालगंज: प्याज की फसल पर ‘पर्पल ब्लाच’ बीमारी का कहर, 30 फ़ीसदी तक घट सकता है उत्पादन
गोपालगंज: कभी आंधी तो कभी बेमौसम की बारिश। मौसम की उछलकूद से जिले के किसान तबाह हो रहे हैं। हद तो यह कि उतरते-चढ़ते पारा के कारण अब प्याज की तैयार फसलों पर पर्पल ब्लाच (बैंगनी धब्बा) रोग का कहर बरपने लगा है। पत्तियां मुरझा रही हैं। खेतों से हरियाली गायब हो रही है। किसानों की चिंता यह कि कुछ दिन ऐसा ही हाल रहा तो पौधे सूख जाएंगे। प्याज के कंद का आकार पूर्ण विकसित न होने की स्थिति में उपज प्रभावित होनी तय है। बचाव के लिए दवा का छिड़काव कर रहे हैं। लेकिन, अबतक सुखद परिणाम नहीं दिख रहे हैं।
जिले में करीब आठ हजार हेक्टेयर में इसबार प्याज की खेती हुई है। विजयीपुर , बैकुंठपुर , कुचायकोट , भोरे , बरौली प्रखंडों के अलावे खासकर पंचदेवरी के खालगांव, नेहरुआ कला , नटवां , कपूरी , कोइसा आदि इलाकों में बड़े पैमाने में इसकी खेती होती है। खालगांव के किसान विनोद सिंह, नेहरूआ कला के प्रदीप राय, नटवां के आतम सिंह, कपूरी के धर्म देव सिंह कहते हैं कि करीब 30 फीसद प्याज की हार्वेस्टिंग हो चुकी है। 20 फीसद में फसल तैयार है, एक सप्ताह के अंदर हार्वेस्टिंग हो जाएगी। जबकि, शेष खेतों में लगी फसल को तैयार होने में अभी 15 दिन बाकी है। पर्पल ब्लॉच का प्रकोप अगात व पिछात दोनों फसलों पर है। लेकिन, नुकसान सबसे ज्यादा पिछात फसलों को होने की संभावना है। कारण, पत्ते मुरझाएं तो पौधे सूख जाएंगे। कंद का आकार बड़ा नहीं होगा। इससे 15 से 20 फीसद तक उपज प्रभावित हो सकती है। पहले ही बारिश की वजह से प्याज की फसलों को काफी नुकसान हो चुका है।
पौधा संरक्षण के सहायक निदेशक बरूण कुमार कहते हैं कि पर्पल ब्लाच (बैगनी धब्बा) रोग आल्टरनेरिया पोरी नामक फफूंद से होता है। पत्तियों पर बैंगनी धब्बा हो जाता है। रोग बढ़ने पर पत्तियों के ऊपर व नीचे घाव बनने लगते हैं। धीरे-धीरे पत्तियां मुरझाने लगते हैं और पौधे सूख जाते हैं। इसका फैलाव हवा द्वारा होता है। पौधे में भोजन बनने की क्रिया पर विपरीत असर पड़ता है। इसके कारण 10-30 फीसद तक उत्पादन में कमी होने की आशंका रहती है।
कृषि विशेषज्ञ सुनील कुमार सिंह ने बताया कि तापमान में उतार-चढ़ाव और बारिश होने से मिट्टी में नामी के कारण इस रोग का प्रकोप बढ़ा है। रोग का संक्रमण उस वक्त अधिक होता, जब वातावरण का तापक्रम घटता व बढ़ता है और आर्द्रता 10-13 होता है। खरीफ मौसम में इस रोग का प्रकोप अधिक होता है। लेकिन, जब बारिश होती है तो इसकी तीव्रता बढ़ जाती है।
कृषि विशेषज्ञ सुनील कुमार सिंह ने बताया कि पर्पल ब्लाच रोग से फसलों को बचाने के लिए कॉपर आक्सीक्लोराइड 50 घुलनशील दवा प्रति लीटर पानी में तीन ग्राम मिलाकर दस दिनों के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें। ध्यान यह भी रखें कि प्याज की पत्तियां चिकनी होती हैं। उसपर दवा चिपकता नहीं है। इसलिए प्रति लीटर पानी में एक चम्मच सर्फ मिलाकर ही छिड़काव करें। इसका भी ख्याल रखें कि जिन किसानों की फसल तैयार हो चुकी है और एक सप्ताह के अंदर हार्वेस्टिंग करनी है तो दवा का छिड़काव नहीं करें। वजह है, इसका कोई फायदा फसलों पर नहीं होगा।
प्याज का बैगनी धब्बा रोग
- यह रोग अल्टरनेरिय पोरी नामक कवक (फफूंद) के कारण होता है
- रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों पर छोटे-छोटे अंडाकार धब्बे उभरनगे लगे हैं
- रोग बढ़ने पर पत्तियों के ऊपर व नीचे घाव बनने लगते हैं
- धीरे-धीरे पत्तियां मुरझाने लगती हैं और पौधे सूख जाते हैं
- कंद का विकास नहीं हो होता है और उपज प्रभावित होती है