गोपालगंज: कलाजार से बचाव के लिए 17 मार्च से शुरू होगा छिड़काव, एसएफडब्ल्यू को दी गई प्रशिक्षण
गोपालगंज जिले में कलाजार उन्मूलन को लेकर विभिन्न स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। जिले में कलाजार से बचाव को लेकर छिड़काव अभियान चलाया जायेगा। इसको लेकर डीएमओ डॉ. शुषमा शरण कि अध्यक्षता में प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। छिड़काव के लिए सुपीरियर फील्ड वर्कर को प्रशिक्षण दी गई। जिसमें आईआरएस पर विस्तार पूर्वक बताया गया जैसे एसपी दवा का घोल बनाने के विधि बताया गया, स्टेंसिल, चेक लिस्ट, रजिस्टर एवं कालाजार संभावित मरीजों के ऊपर जानकारी दी गई की छिड़काव के दौरान प्रत्येक व्यक्ति को कालाजार बुखार और चमड़ा पर कालाजार के लक्षण और जॉच एवं ईलाज के प्रति बताया गया। डीवीबीडीसी अमित कुमार के दारा कालाजार छिड़काव पर हैंड कंपरेशन पम्प टेकनिकिल प्रशिक्षण दिया गया। पीसीआई के आरएमसी बच्चू आलम के दारा कलाजार छिड़काव पर एसएफडब्लू को समाजिक जागरूकता के विभिन्न तरीके बताया गया। जिससे कालाजार छिड़काव के दौरान इंकार, पार्सियल घरों का सम्पूर्ण छिड़काव हो सके।
जीविका दीदी और विकास मित्र का लिया जायेगा सहयोग: डीएमओ डॉक्टर सुषमा शरण के द्वारा बताया गया की कालाजार बीमारी को उन्मूलन में विभिन्न विभाग के दारा सहयोग लिया जा रहा हैं। जैसे जीविका दीदी, शिक्षा विभाग जनप्रतिनिधि ,सेविका दीदी , राशन डीलर एवं विकास मित्र इन सभी विभागों से सहयोग आईआरएस के दौरान लिया जाएगा। साथ गोपालगंज जिला में कालाजार से प्रभावित गांव 206 , शहरी क्षेत्र में चार वॉर्ड प्रभावित है जिसमे छिड़काव कर्मी 38 सदस्य के सहयोग से छिड़काव किया जाना है। इस प्रशिक्षण में वीडीसीओ प्रशांत कुमार, बिपिन कुमार, आनन्द कश्यप केयर इंडिया, सुजीत कुमार एवं पीसीआई आरएमसी बच्चू आलम शामिल थे।
सभी स्वास्थ्य केंद्रों में कालाजार का इलाज की सुविधा उपलब्ध: कालाजार बीमारी बालूमक्खी के काटने से होने वाला रोग है। लेकिन इसका इलाज आसानी से संभव है। दो सप्ताह से अधिक बुखार, पेट के आकार में वृद्धि, भूख नहीं लगना, उल्टी होना, शारीरिक चमड़ा का रंग काला होना आदि कालाजार बीमारी के लक्षण हैं। ऐसा लक्षण शरीर में महसूस होने पर अविलंब जांच कराना जरूरी होता है। नमी एवं अंधेरे वाले स्थान पर कालाजार की मक्खियां ज्यादा फैलती हैं। मुख्य रूप से पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) एक त्वचा रोग है जो कालाजार के बाद होता। इसके उपचार में विलंब से हाथ, पैर और पेट की त्वचा काली होने की संभावना ज़्यादा रहती है। जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में कालाजार का इलाज आसानी से किया जाता है।