गोपालगंज: मन्नत पूर्ण होने पर चार मुस्लिम महिलाओ के आंगन में गूंज रहे है महापर्व छठ माई के गीत
गोपालगंज: लोकआस्था का महापर्व छठ पूजा जाति और धर्म जैसे दायरों में नहीं बंधती है। बिहार के सबसे बड़े महापर्व छठ पूजा को कई मुस्लिम परिवार भी पूरी श्रद्धा के साथ मनाते हैं। यह परंपरा नई नहीं, बल्कि दशकों से चली आ रही है। गोपालगंज शहर के हजियापुर निवासी रेहाना खातुन समेत चार मुस्लिम महिला भी इस बार छठ पूजा कर रहीं हैं। नहाय खाये से शुरू हुआ यह पर्व में रेहाना और उनके साथ अन्य महिला गेहूं साफ कर छठ पूजा की गीत गुनगुनाते हुए भक्ति भाव मे लीन होती नजर आई। बाजार में छठ पूजा की सामग्री खरीदने के लिए निकली जोहरा खातुन और मल्लिका खातुन ने बताया कि मन्नत मांगी थी कि घर बन जायेगा, तब छठ माता की व्रत रखकर पूजा करेंगी।
लोकआस्था के इस महापर्व को कई मुस्लिम परिवार भी पूरी श्रद्धा के साथ मनाते हैं। यह परंपरा नई नहीं है, बल्कि दशकों से चली आ रही है। गोपालगंज शहर के हजियापुर निवासी रेहाना खातुन सहित चार मुस्लिम महिला भी इस बार छठ पूजा कर रहीं हैं। नहाय खाये से शुरू हुए इस पर्व में रेहाना और उनके साथ अन्य महिलाएं गेहूं साफ कर छठ पूजा की गीत गुनगुनाते हुए भक्ति भाव से छठी मईया की पूजा करने में जुटी हुई है। इस मामले में इस्तेहार अली की पत्नी रेहाना ख़ातून ने कहा कि रहने को घर नही था, तब पिछले साल छठ पूजा के मौके पर आँचल फैलाकर छठी मईया से मन्नत मांगी थी, कि मेरा घर बन जायेगा तो मैं भी दो वर्षों तक छठ पर्व करूंगी, जिसका नतीजा यह हुआ कि मेरा घर बन गया मन्नतें पूरी हो गई। उन्होंने कहा कि इसमें मेरे पति और आस-पास के लोगों भी भरपूर सहयोग कर रहे हैं। हिन्दू महिलाएं भी सहयोग करती हैं। वहीं शेरू मियां की पत्नी जोहड़ा ख़ातून ने बताया कि मैं भी अपने घर के लिए मन्नत मांगकर छठ कर रही हूं। मुझे विश्वास है कि मेरी भी मन्नत पूरी होगी और मैं भी कोशी भरूँगी। वहीं साहेब हुसैन के पत्नी गुड़िया ख़ातून भी बाहर से छठ करने के लिए आ रही हैं, उसने भी मन्नत मांगी थी कि बेटा होगा तो छठ करेंगे और उनकी भी मन्नत पूरी हुई।