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मृत घोषित सेना का जवान 7 साल बाद लौटा घर

सात साल से पति के वियोग और विधवा होने का दंश झेल रही महिला के सामने अचानक उसका पति आकर खड़ा हो जाए तो उस खुशी की क्या कोई कल्पना कर सकता है। कुछ ऐसा ही हुआ अलवर की मनोज देवी के जीवन में।  सेना ने एक्सीडेंट में जिस जवान के लापता होने पर मृतक घोषित कर पत्नी को पेंशन जारी कर दी थी वही जब सात साल बाद घर पहुंचा तो घर-परिवार से लेकर क्षेत्रवालों हैरान रह गए। आंखें फटी की फटी रह गई। पहले लगा कि वे कोई सपना देख रहे हैं मगर बाद में विश्वास करना पड़ा कि सबकुछ फिल्मी नहीं बल्कि हकीकत में हो रहा है।

अलवर निवासी धर्मवीर यादव 1994 में थल सेना के 66 आर्म्ड कोर में सिपाही के पद पर भर्ती हुए। वे 27 नवंबर 2009 को देहरादून रात ड्यूटी जा रहे थे। उनकी आर्मी की अंबेसडर कार डिवाइडर से टकराकर पटल गई। इस दौरान वे लापता हो गए थे। तीन साल खोजबीन के बाद नहीं मिले तो उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। जिसके बाद तीन साल पहले सेना ने मृतक घोषित कर परिवार को सभी बकाए का भुगतान क पत्नी को पेंशन देनी शुरू कर दी।

धर्मवीर ने बताया कि देहरादून में आर्मी की गाड़ी से दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद क्या हुआ, मुझे कुछ नहीं पता। जब उसे होश आया तो वह देहरादून, रूड़की, हरिद्वार में पागल भिखारी बनकर घूमता रहा।  पांच दिन पहले हरिद्वार में एक बाइक चालक ने पीछे से टक्कर मार दी। इसके बाद लोगों ने अस्पताल पहुंचाया। इस दौरान उसकी पुरानी याद्दाश्त लौट आई कि वह धर्मवीर हूं और बहरोड़ का रहने वाला है। बाइक चालक ने पांच सौ रुपए देकर दिल्ली के लिए बस में बैठा दिया। इसके बाद वह घर पहुंचा।

हवलदार धर्मवीर की उम्र इस समय 39 साल है। घर में पत्नी के अलावा दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी 19 साल की संगीता और छोटी बेटी 17 साल की पुष्पा है।

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