गोपालगंज: एक सप्ताह में नहीं हुई बारिश तो देखना पड़ सकता है सूखा, किसानो की बढी परेशानी
गोपालगंज: नदी से लेकर पहाड़ तक पानी का धूम मचाने वाला वर्षा का राजा आषाढ़ मास इस वर्ष मौन है। आषाढ़ मास में 50 प्रतिशत रोपनी हो जाती थी। लेकिन इस वर्ष बारिश नहीं होने के कारण किसान परेशान हैं। हालांकि बारिश नहीं होने के बाद भी भाठवां गांव के किसान धनंजय मिश्र ने धान की रोपाई शुरू कर दिए हैं।
किसान धनंजय मिश्र बतातें हैं कि धान रोपाई करने का आषाढ़ सबसे अच्छा समय माना जाता है। इस मास में गांव के किसान सामूहिक रूप से आषाढ़ी पूजा कर के धान की रोपनी करने में जुट जाते है। वे बतातें हैं कि आषाढ़ मास वर्षा का राजा होता है। इस मास में नदी, आहर, तालाब पोखर सब भर जाता है।
इस मास में किसान खेतों की जोताई कर मंसूरी जड़हन धान की रोपाई करने का शुभारंभ कर देते थे। लेकिन बारिश नहीं होने के कारण बिचड़ा को बचाने में जुट हुए हैं। बिचड़ा रोपने के लायक तैयार है। वहीं कुछ किसान भगवान के भरोसे धान की रोपाई करना शुरू कर दिए है। उसी कड़ी में भगहर गांव के प्रगतिशील किसान आठ जुलाई को पम्प के पानी से खेत तैयार कर करीब चार एकड़ धान की रोपाई कर दिए हैं। उनके देखा देखी अन्य किसान भी हल बैल के साथ खेतों में उतरना शुरू कर रहे हैं।
किसान बतातें हैं कि मानसून आने के बाद से मूसलाधार बारिश नहीं हुई है। झिमझिम बारिश होकर रुक गया है। बारिश नहीं होने के कारण नदी, आहर तालाब सूखा पड़ा है। कड़ी धूप निकलने से भीषण गर्मी है। इस भीषण गर्मी में रात दिन कभी भी घर में रहना मुश्किल हो गया है। किसान बताते हैं कि और 15 दिन बारिश नहीं हुई तो सुखाड़ का दिन देखना पड़ सकता है।
कृषि विशेषज्ञ सुनील कुमार सिंह बतातें हैं कि 15 जून से 15 जुलाई तक धान रोपनी का सबसे उत्तम समय होता है । उन्होंने बताया कि बीते वर्ष दस जुलाई तक 65 से 75 प्रतिशत धान की रोपनी हो गया था। लेकिन इस वर्ष रोपनी तक शुरू नहीं हो सका है। सिर्फ एक किसान रोपनी शुरू किए हैं। वे बतातें हैं कि 15 जुलाई के बाद बारिश होने के बाद धान की रोपाई करने से उपज पर प्रतिकूल असर पड़ता है। वे समय रोपनी करने से 50 प्रतिशत से भी कम उपज हो पाता है।