गोपालगंज

गोपालगंज: जन्म के समय नवजात को सांस लेने में थी समस्या, एसएनसीयू में मिला नवजात को जीवनदान

गोपालगंज: स्वास्थ्य विभाग के द्वारा शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। नवजात शिशुओं के लिए सदर अस्पताल में एसएनसीयू वार्ड बनाया गया, जहां पर शिशुओं को जीवनदान मिल रहा है। संतरा देवी गोपालगंज जिले के चनावे गांव के थावे ब्लॉक की रहने वाली हैं । उनका प्रसव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थावे में 22 फरवरी 2022 को हुआ था। बच्चे का जन्म हुआ परंतु नवजात रोया नहीं था। बच्ची की दादी आशा देवी एक निजी अस्पताल में लेकर गई । चिकित्सक ने बच्ची की चेकअप करने के बाद बताया कि सांस लेने में समस्या है। मेरे पास ऑक्सीजन नहीं है। बच्ची को आप सदर हॉस्पिटल गोपालगंज में लेकर जाइए। आशा देवी उस बच्ची को एसएनसीयू सदर हॉस्पिटल गोपालगंज में लेकर गई। डॉक्टर ने बच्ची की चेक अप करने के बाद बताया कि बच्ची को झटका आता है। उसे एडमिट करना होगा। बच्ची को एसएनसीयू में एडमिट किया गया। चार दिन के इलाज में बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ हो गयी । चार दिन के बाद बच्ची को एसएनसीयू से डिस्चार्ज कर दिया गया। वर्तमान समय में बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है।

निजी अस्पताल में इलाज कराना नहीं था संभव, परिवार वाले छोड़ चुके थे उम्मीद: संतरा देवी के पति करम कुमार माझी अपने परिवार के गुजर-बसर के लिए एक छोटी गुमटी में बिस्कुट चॉकलेट बेचते हैं। उनके कमाई बहुत ही कम है। बड़ी मुश्किल से परिवार चलता है। आशा देवी- (बच्ची की दादी) का कहना है कि प्राइवेट में इलाज करवाने के लिए मेरे पास पैसा नहीं था और नहीं मेरे पास जमीन थी कि उसे बेचकर मैं अपनी पोती का इलाज करवाती।

गरीब परिवारों के लिए वारदान है एसएनसीयू: एसएनसीयू इंचार्ज संध्या कुमारी ने बताया कि खासकर गरीब घरों के बच्चों के लिए तो यह वरदान से कम नहीं। यहां 16 बच्चों के भर्ती होने की व्यवस्था है। यहां वैसे नवजात को भर्ती किया जाता है जिसकी जन्म लेने के बाद हालत नाजुक होती है।एसएनसीयू के संचालन के लिए प्रशिक्षित नर्स एवं शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की गई है। जो बच्चे भर्ती होते हैं उन्हें हर तरह की सुविधा दी जाती है।इस एसएनसीयू से वैसे लोगों को अधिक फायदा होता है जो निजी अस्पतालों के एसएनसीयू में अपने बच्चों को नहीं रख सकते हैं। निजी अस्पतालों में एक दिन का औसतन एक से डेढ़ हजार रुपये लिया जाता है। यह आर्थिक रूप से कमजोर माता-पिता के लिए मुश्किल होता है। ऐसे में सदर अस्पताल का एसएनसीयू उनके लिए बड़ा सहारा है।

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