गोपालगंज: एईएस और जेई के प्रबंधन को लेकर एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का हुआ आयोजन
गोपालगंज सदर अस्पताल गोपालगंज जिला के सभागार कक्ष में एईएस/ जेई के प्रबंधन पर जिला स्तरीय एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुषमा शरण ने की। प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रशिक्षक डीवीबीडीसी अमित कुमार ने कहा कि एईएस मुख्य रूप से बच्चों की बीमारी है ।एईएस से ग्रसित बच्चे मुजफ्फरपुर में ज्यादा हैं। वीडीसीओ प्रशांत कुमार ने बताया कि चमकी आने की स्थिति में मरीज को करवट या पेट के बल लेटाना चाहिए। शरीर के कपड़े को ढीला कर दें। मरीज के मुंह में कुछ भी नहीं डालें। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिले के चिकित्सा पदाधिकारियों एवं हेल्थ ऑफिशियल के अंतर्गत एएनएम, बी सी एम, वीबीडीस को प्रशिक्षण दिया गया। चिकित्सा पदाधिकारियों के प्रशिक्षण में प्रत्येक पीएचसी, सीएचसी, आरएचसी स्तर से तीन – तीन एमबीबीएस चिकित्सा अधिकारी (प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सहित) अनुमंडलीय अस्पताल तथा सदर अस्पताल से चार-चार एमबीबीएस चिकित्सा पदाधिकारी को प्रशिक्षण दिया गया। जिला स्वास्थ्य प्रशासन, स्वास्थ्य के प्रति पूरी तरह से अलर्ट है । किसी भी तरह का कोई भी अप्रिय घटना न हो। इसके लिए प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है।
चमकी के तीन धमकी खिलाओ, जगाओ और अस्पताल ले जाओ : डीएमओ डॉ. सुषमा शरण ने कहा कि यह एक गंभीर बीमारी है। जो समय पर इलाज से ठीक हो सकता है। अत्यधिक गर्मी एवं नमी के मौसम में यह बीमारी फैलती है। एक से 15 वर्ष तक के बच्चे इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा कि चमकी को धमकी के तहत तीन धमकियों को जरूर याद रखना चाहिए। खिलाओ, जगाओ और अस्पताल ले जाओ। बच्चे को रात में सोने से पहले खाना जरूर खिलाएं, सुबह उठते ही बच्चों को भी जगाए और देखें बच्चा कहीं बेहोश या उसे चमकी तो नहीं है। बेहोशी या चमकी को देखते ही तुरंत एंबुलेंस या नजदीकी गाड़ी से अस्पताल ले जाना चाहिये।
बच्चों को रात में दें हल्का मीठा: चमकी बुखार को ले जागरूक रहने की आवश्यकता है। बच्चों को धूप में न जाने दें। साफ सफ़ाई पर ध्यान दें। बच्चों को रात में खाली पेट न सोने दें। रात में हल्का मीठा भोजन जरूर कराएं। इलाज में देरी न करें। स्थिति असमान्य होने पर एम्बुलेंस भाड़ा कर जिला अस्पताल ले आएं। बच्चों के अस्पताल ले आने का भाड़ा सरकारी स्तर पर उपलब्ध कराया जाएगा। चमकी के लक्षण जैसे- बच्चों को लगातार तेज बुखार रहना, बदन में लगातार ऐंठन होना, दांत पर दांत दबाए रहना, सुस्ती, कमजोरी की वजह से बेहोशी आना, चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि बातें बताई गई।