गोपालगंज: जेई के टीका से वंचित बच्चों का होगा सर्वे, शत-प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित किया जायेगा
गोपालगंज: कोरोना संक्रमण के कारण नियमित टीकाकरण को सुदृढ़ करने स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती है। लेकिन तमाम चुनौतियों के बीच नियमित टीकाकरण को सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है। नियमित टीकाकरण के अंतर्गत जेई के टीका से काफी संख्या में लाभार्थी वंचित है। शत-प्रतिशत लाभार्थियों के टीकाकरण के लिए स्वास्थ्य विभाग ने रणनीति तैयार की है। जेई टीकाकरण से छुटे हुए बच्चों को जेई टीका से प्रतिरक्षित किया जाना आवश्यक है। इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने पत्र जारी कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है।
आशा कार्यकर्ता करेंगी सर्वे: आशा द्वारा सत्रवार सर्वे कर 09 माह से 10 वर्ष तक के जेई-1 एवं जेई-2 टीका से वंचित से सभी बच्चों की सूची तैयार कराया जाए। सूची का सत्यापन आशा फैसिलिटेटर द्वारा किया जाए तथा सर्टिफिकेशन लिया जाए की इस क्षेत्र में 09 माह से 10 वर्ष तक के जेई-1 एवं जेई-2 टीका से वंचित सभी बच्चों को टीकाकरण कराने हेतु सूची में शामिल कर लिया गया है। आशा फैसिलिटेटर से सर्टिफिकेशन के बाद प्रखण्ड स्तर से पदाधिकारियों यथाः प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम, बीसीएम द्वारा अपने संबंधित क्षेत्र के कम से कम 10 प्रतिशत क्षेत्रों के सर्वे के सत्यापन की जाँच की जाए।
जिलास्तर पर सर्वे का होगा सत्यापन: जारी पत्र के माध्यम से निर्देश दिया गया है कि जिला स्तर से भी उक्त सर्वे तथा सर्वे के सत्यापन की जॉच जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, जिला सामुदायिक उत्प्रेरक एवं अन्य जिला स्तरीय पदाधिकारियों द्वारा करा कर आश्वस्त हो लें कि सर्वे का कार्य सही से किया गया है। सर्वे कार्य के उपरांत चिन्हित लाभार्थियों का नियमित टीकाकरण के लिए निर्धारित सत्रों प सयमनुसार टीका दिया जाना सुनिश्चित किया जाए। निदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए अपने जिला के जापानी इंसेफलायटिस के टीका से सभी छूटे बच्चों को प्रतिरक्षित किया जाये।
हर बच्चे को समय पर टीका लगवायें: सीएस डॉ. वीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि जापानी इन्सेफेलाइटिस का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को नहीं फैलता है। इसका संक्रमण केवल एक खास किस्म के वायरस के द्वारा होता है, जो मच्छर या सूअर द्वारा फैलता है। जिन जगहों में जापानीज इन्सेफेलाइटिस की घटनाएं जयादा देखने को मिलती हैं, उन जगहों पर जापानी इन्सेफेलाइटिस के संक्रमण का खतरा भी ज्यादा होता है। अधिकांश व्यक्ति जो जापानी इन्सेफेलाइटिस से संक्रमित हैं, कोई भी लक्षण प्रदर्शित नहीं करते हैं, जिनसे संक्रमण होने का पता चल सके। इसीलिए आवश्यक है कि 1 से 5 साल तक के हर बच्चे को समय पर टीका लगवाया जाये और बच्चे को महामारी से बचाया जा सके।