गोपालगंज: पंचतत्व में विलीन हुए बीएसएफ के शहीद जवान रामविनोद, चश्मदीद बेटे ने बताया कैसे हुई घटना
अमृतसर स्थित बीएसएफ के हेडक्वार्टर में 6 मार्च की सुबह हुए फायरिंग में पांच जवान शहीद हो गये थे। जबकि 6 से ज्यादा घायल हुए। इस घटना में गोपालगंज के सैनिक रामविनोद सिंह भी शहीद हुए। मंगलवार को शहीद का पार्थिव शरीर को बीएसएफ के साथी घर लेकर पहुंचे, उसके बाद इस पूरे घटनाक्रम का चश्मदीद ने खुलासा किया। उस दर्दनाक मंजर को सुनकर आप विचलित हो जायेंगे। महज मजाक उड़ाने के विवाद में यह पूरी वारदात हुई।
बताया जाता है की 6 मई की सुबह पंजाब के अमृतसर स्थित बीएसएफ मुख्यालय में एक जवान तैश में आकर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी है। इस घटना में गोली चलाने वाले जवान सहित 5 जवानों की मौत हो गयी। इस घटना में शहीद जवानों में मांझा के बहोरा टोला गांव के रामविनोद सिंह शामिल हैं। घटना के दिन भी सुबह 9.25 बजे रामविनोद सिंह के साथ उनका बेटा कर्णवीर सिंह भी बीएसएफ कैंप में थे।
चश्मदीद कर्णवीर के मुताबिक महाराष्ट्र का आरोपी जवान सुतप्पा कैंप में फायरिंग करते हुए आया और पहले जीडी को मार दिया। उसके बाद रामविनोद सिंह के पास पहुंचा, जहां गोपालगंज के वीर सपूत रामविनोद सिंह ने हिम्मत दिखायी और सुतप्पा के रायफल को पकड़ लिया, रोकने की कोशिश की, लेकिन सुतप्पा ने रामविनोद सिंह के सीने को गोलियों से छलनी कर दिया। उसके बाद एक मेस वाले को मौत के घाट उतार दिया। उसके बाद कर्णवीर के समाने चार जवानों को गोली मार दी। किसी तरह से कर्णवीर सिंह ने भागकर अपनी जान बचाई और परिवार को इसकी सूचना दी।
रामविनोद सिंह बीएसएफ 144वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल थे। मंगलवार को शहीद सैनिक का पार्थिव शरीर को अंत्येष्टी के लिए घर लाया गया। बहोरा टोला में राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टी किया गया। बीएसएफ जवानों ने सलामी दी। अमृतसर में बीएसएफ के हेडक्वार्टर में जवानों के बीच हुई दिल-दहला देनेवाली वारदात ने शहीद के पूरे परिवार को आंसूओं में डूबो दिया है। शहीद के परिजनों ने सरकार से रामविनोद सिंह के नाम पर गांव में प्रवेश द्वार और प्रतिमा बनाने की मांग की। साथ ही इस तरह की घटना दुबारा न हो्र इसके लिए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।