गोपालगंज: हीना बेगम के जिगर के टुकड़े के लिए जीवनदान बना सदर अस्पताल का एसएनसीयू वार्ड
गोपालगंज: मेरे पति, स्वस्थ्य नहीं रहने के कारण काम करने के लिए नहीं जाते हैं। परिवार काफी गरीबी में जीवन -यापन करता है। जब गर्भवती थी तो तीन- तीन महीने के अंतराल पर नियमित रूप से चेकअप पैसे के अभाव में वह नहीं करवायी थी। जनवरी माह में अपने तीसरे बच्चे अयूब को सदर अस्पताल गोपालगंज में जन्म दी थी। हीना बेगम की प्रसव 9 महीना पर ही हुई थी। शिशु का वजन काफी कम था। वह पूरी तरह से स्वस्थ्य नहीं था। सदर अस्पताल गोपालगंज के एएसएनसीयू में नवजात शिशु को भर्ती कराया गया। जहां पता चला कि उसे जोंडिस है। यह कहानी है जिले के सदर प्रखंड के यादोपुर गांव के अब्दुल रहिम की पत्नी हीना बेगम की। 17 जनवरी को हीना बेगम ने सदर अस्पताल में शिशु को जन्म दिया था। तब शिशु पूरी तरह से स्वस्थ्य नहीं था। लेकिन स्वास्थ्यकर्मियों की कर्तव्यनिष्ठा और विभाग के प्रयास से शिशु को नया जीवनदान मिल पाया है। जन्म के तुरंत बाद बच्चे का नहीं रोना, शरीर व हाथ-पांव का रंग पीला होना, हाथ-पांव का ठंडा होना। मां का दूध नहीं पीना, बहुत ज्यादा रोना या बहुत ज्यादा सुस्त होना, चमकी, नवजात का वजन तय मानक से कम या अधिक होना, समय से पूर्व बच्चे का जन्म, कटे तालु व होंठ सहित कई अन्य लक्षणों के आधार पर रोगग्रस्त नवजात की पहचान की जाती है।
बाहर का दूध पिलाने को मजबूर थी हीना: हीना बेगम को दूध नहीं हो रहा था । इसलिए बच्चे को दूध पिलाने के लिए बाहर से दूध खरीद कर लाती थी। पन्द्रह दिनों तक हीना बेगम का दूध नहीं हुआ था। पन्द्रह दिनों के बाद दूध होना शुरू हो गया था। बेगम ने अपने बच्चे को दूध पिलाना शुरू कर दिया । माँ का दूध बच्चे के लिए अमृत पेय होता है, जो उसे जीवनदान देता है। माँ के पौष्टिक दूध से शिशु के शरीर का विकास होता है। इसी गुणकारी दूध को पीकर नवजात शिशु हृष्ट-पुष्ट और बुद्धिमान बनता है। इस अमृतकारी दूध में खनिज, एंटीबॉडीज व जरूरी पोषक तत्व आदि होते हैं जिससे शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
एसएनसीयू बीमार नवजात को जीवनदान देने में सक्षम: सिविल सर्जन डॉ. वीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि एसएनसीयू बीमार नवजात को जीवनदान देने में सक्षम है। बहुत से लोग इसका लाभ भी उठा रहे हैं। लेकिन कुछ लोग हैं जो नवजात की बीमारी से परेशान होकर इधर-उधर भटक कर अपना व अपने नवजात को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि एसएनसीयू में सारी सेवाएं नि:शुल्क हैं। इलाजरत नवजात के माता पिता को थोड़ा धैर्य रखने की जरूरत है। अक्सर अभिभावक नवजात की तबीयत में थोड़ा सुधार होने पर उसे घर ले जाने की जिद करते हैं। उन्हें समझना चाहिये कि बीमार नवजात का एसएनसीयू में 24 से 48 घंटे तक विशेष चिकित्सकीय देखरेख में रहना जरूरी है।