गोपालगंज

गोपालगंज: गंडक नदी में आई बाढ़ से 42 गांव प्रभावित, दो दर्जन से ज्यादा घर गंडक में विलीन

गोपालगंज में गंडक नदी में आई बाढ़ से जहां 42 गांव प्रभावित हुए है। वहीं हजारों की आबादी भी प्रभावित हुई है। अब गंडक का जलस्तर लगातार कम हो रहा है। लेकिन लोगों की परेशानी कम नहीं हो रही है। गंडक का पानी कम होने से गांव में कटाव हो रहा है। जिससे मांझागढ़ प्रखंड के निमुइया पंचायत के मायाजी टोला गांव के दो दर्जन से ज्यादा घर गंडक में विलीन हो गए हैं।

मांझागढ़ प्रखंड के निमुइया पंचायत के मायाजी टोला गांव मे गंडक से इस गांव में लगातार कटाव हो रहा है। कटाव से कई एकड़ खेत गंडक में विलीन हो गए है। जबकि इस गांव के दो दर्जन से ज्यादा घर कटकर नदी में समा गए। करीब 200 घरों की आबादी वाले इस गांव में अब हर तरफ विरानगी और बेबसी का आलम है। कभी खुशहाल रहने वाला यह पंचायत अब गंडक में विलीन होने के कगार पर है। यहां कटाव की वजह से लोग अपने पुरखों के बनाये घर को तोड़ रहे हैं। उसमें से ईंट और अन्य जरूरी सामान को निकालकर तटबन्धों पर भेज रहे हैं।

निमुइया पंचायत के किसान लालबाबू माझी के मुताबिक उनके गांव में कई दिनों से कटाव हो रहा है। कटाव की वजह से मायाजी के टोला गांव के लोग अपने घरों को तोड़ रहे हैं। वे भी अपने पुरखों के बनाये घर को तोड़कर तटबन्धों के किनारे सामान भेज रहे हैं। परिवार के सदस्यों को पहले ही टेंट बनाकर शिफ्ट कर दिया गया है। वे खुद इस घर को तोड़कर जरूरी सामान निकाल रहे है।

इसी गांव के किसान बीरेंद्र यादव के मुताबिक उनके गांव में पहले खुशहाली थी। लेकिन इस साल गंडक से आई इस बाढ़ ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया है। अब गण्डक का जलस्तर कम हुआ है। लेकिन गांव में कटाव तेज हो गया है। कटाव रोकने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया। जिसकी वजह से वे अपने घरों को तोड़ने के लिए मजबूर हैं। घर में लगे दरवाजे, खिड़कियां सब कुछ निकाल रहे हैं। ताकि इन समान को दोबारा उपयोग में लाया जा सके।

जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता कन्हैया लाल सिंह ने कहा कि कटाव की जानकारी मिलते ही वे निरीक्षण करने यहां आए हैं। यहां पर लगातार कटाव हो रहा है। जल्द ही कटाव निरोधी कार्य शुरू किया जाएगा।

बहरहाल कटाव से जहां गोपालगंज के दर्जनों घर और गांव गंडक में पहले ही समा चुके हैं। अब निमुइया पंचायत का मायाजी टोला गांव भी गंडक नदी में विलीन होने के कगार पर है। अब लोगों को इंतजार है सरकार के राहत का। ताकि उनके जख्मों पर कुछ हद तक मरहम लग सके।

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