गोपालगंज: लोगो के इलाज के लिए अस्पताल तो बना दिया गया, डॉक्टरों के रहने के लिए आवास नही
गोपालगंज: सरकार के द्वारा लोगो के इलाज कराने और अस्पताल में भर्ती रहने के लिए 30 बेड का अस्पताल बना दिया गया। परन्तु डॉक्टरों के रहने के लिए आवास नही है। जिसके चलते डॉक्टर मांझा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में न रहकर किराए के मकान में गोपालगंज रहते है, या घर से आ जाकर डियूटी करते है।
भले ही सरकार के द्वारा लोगो के इलाज के लिए समुचित व्यवस्था की जा रही है। परन्तु डॉक्टर की रहने की व्यवस्था नही है। डॉक्टर के पद रिक्त पड़े है। एएनएम सहित स्वास्थ्य कर्मियों के पद रिक्त पड़े है। जिसके वजह से कही डॉक्टर की कमी है तो कही स्वास्थ्य कर्मी की कमी है। जिसके चलते मरीजो को देख भाल करने में परेशानी की समस्या बनी रहती है।
मांझा में वर्ष 2016 में 30 बेड के अस्पताल तो बन कर तैयार तो हो गया। डॉक्टर के छह पद भी है। लेकिन तीन ही नियमित डॉक्टर यहां है। जिनके रहने के लिए आवास तक नही है। 30 वर्ष पूर्व जब तीस बेड का अस्पताल मांझा में नही था। उस समय डॉक्टर के रहने के लिए आवास बनाये गए थे। जो 5 वर्ष पूर्व ध्वस्त हो चुके है। जहाँ डॉक्टर की रहने की व्यवस्था नही हो वहां समय से रोगी के इलाज के लिए डॉक्टर से मिलना सम्भव नही है।
वही दूसरी तरफ सरकार के द्वारा स्वास्थ्य समिति के गठन कर कर्मचारियों और अधिकारियों की बहाली कर दी गयी। कर्मचारी और अधिकारी काम भी कर रहे है। लेकिन स्वास्थ्य समिति के अधिकारी और कर्मचारी के कार्य करने के लिए मांझा में अलग भवन नही है। जिसके चलते बने 30 बेड के अस्पताल में ही किसी तरह से मैनेज कर कर्मचारी और अधिकारी कार्य करते है। इतना ही नही सरकार के द्वारा ग्रामीणों क्षेत्रो में ग्रामीणों के इलाज करने हेतु उप स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए , परन्तु उप स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर की बहाली नही होने से उप स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटका रहता है। जिसके चलते सरकार के लाखों रुपये खर्च कर बनाये गए उप स्वास्थ्य केंद्र बेकार पड़े है।