गोपालगंज को अविकसित जिला घोषित कर ‘आकांक्षी’ योजना से जोड़ने की संसद में उठी मांग
गोपालगंज जिले को पिछड़ा जिला घोषित कर ‘आकांक्षी’ योजना से जोड़ने की मांग सांसद डॉ आलोक कुमार सुमन ने लोकसभा में उठायी है।
सांसद ने लोकसभा अध्यक्ष रमा देवी को बताया कि गोपालगंज एक कृषि आधारित क्षेत्र है। यहां के किसान एवं अन्य परिवार कृषि और गन्ने की खेती पर आधारित हैं। युवा वर्ग को रोजगार की जरूरत है। स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, जल संसाधन एवं बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर में सहायता की अत्यंत जरूरत है, क्योंकि यह जिला बाढ़ से प्रभावित भी है।
सांसद ने कहा कि हर साल गोपालगंज में बाढ़ की विभीषिका आती है, जो जान-माल और आर्थिक स्थिति को नुकसान पहुंचाती है, जो दयनीय स्थिति पैदा कर देती है। इन सब समस्याओं एवं इंडेस्क के पौरामीटर को ध्यान में रखते हुए नीति आयोग और केंद्र सरकार गोपालगंज को ‘आकांक्षी’ योजना से जोड़ें, ताकि अविकसित जिले का विकास हो सके।
लोकसभा से निकलने के बाद सांसद ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि इस योजना की सहायता से पिछड़े गोपालगंज को विकास के इन सूचकों को राष्ट्रीय स्तर के बराबर लाने का प्रयास नीति आयोग और केंद्र सरकार की मदद से किया जा सकता है।
आकांक्षी योजना के तहत स्वास्थ्य और पोषण तथा शिक्षा समेत छह विकासत्मक क्षेत्रों में हुई प्रगति के आधार पर नीति आयोग रैंकिंग करती है। रैकिंग के लिये स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा के अलावा, कृषि और जल संसाधन, वित्तीय समावेश, कौशल विकास तथा मूल ढांचागत सुविधा को आधार बनाया जाता है। मकसद मुख्य सामाजिक क्षेत्रों में पीछे रह गये और अल्पविकसित श्रेणी में आने वाले उन जिलों को तरक्की के रास्ते पर लाना है।
केंद्र सरकार की ओर से बिहार के कुल 13 जिलों को आकांक्षी जिला कार्यक्रम में शामिल किया गया है। इनमें कटिहार, बेगुसराय, शेखपुरा, अररिया, खगड़िया, पूर्णिया के अलावा वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिले –औरंगाबाद, बांका, गया, जमुई, मुजफ्फरपुर और नवादा आदि शामिल हैं।
केंद्र सरकार से बिहार सरकार राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग भी कर रही है, लेकिन मोदी सरकार इस मामले को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। गोपालगंज के सांसद डॉ आलोक कुमार सुमन भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने मांग कर चुके हैं।