गोपालगंज

गोपालगंज: आंगनबाड़ी केंद्रों पर लगाये गये सहजन व फलदार पौधे, सहजन के प्रयोग से दूर होगा कुपोषण

गोपालगंज में राष्ट्रीय पोषण माह अभियान के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर सहजन, पपीता व अन्य पौधे लगाये गये। आंगनबाड़ी केंद्रों पर सहजन के पौधे लगवाने का मुख्य उद्देश्य गर्भवती माताओं को इसके प्रयोग पर बल देना है। उन्हें प्रेरित किया जा रहा है कि सहजन की सब्जी, सूप आदि का प्रयोग करने से उनका स्वास्थ्य तो उत्तम होगा ही जन्में बच्चे भी स्वस्थ होंगे। इतना ही नहीं केंद्र के नौनिहालों को भी इसका सेवन कराया जाएगा ताकि उन्हें विटामिन युक्त आहार मिल सके। आईसीडीएस के डीपीओ शम्स जावेद अंसारी ने कहा कि पौधों के वृक्ष बनने से पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा तो मिलेगा ही स्वस्थ समाज की परिकल्पना भी साकार होगी। सहजन के प्रयोग से गर्भवती माताओं का स्वास्थ्य बेहतर होने के साथ कुपोषित बच्चों का कुपोषण भी दूर होगा। ये पौधे आम लोगों के लिए भी लाभकारी साबित होंगे। वृक्षों के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। ऐसे में जरूरी है कि सभी अधिक से अधिक पौधे लगाएं।

गुणों की खान है सहजन की पौधा: पोषण अभियान के जिला समन्वयक बृजकिशोर प्रसाद ने बताया कि सहजन गुणों की खान है। इसमें विटामिन ए, बी व सी तो मिलता ही है। साथ ही इसके सेवन से कार्बोहाइड्रेट व प्रोटीन भी प्राप्त होता है, जो माताओं व शिशुओं को सुपोषित करने में सहायक साबित होगा। सहजन के पौधे आसपास के वातावरण को भी शुद्ध रखते हैं।

नय प्रयास से दूर होगा कुपोषण: आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिए नित नए प्रयास किए जा रहे हैं। बाल विकास विभाग की ओर से कुपोषित बच्चों को चिह्नित कर उनके स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। बच्चों को पौष्टिक आहार के रूप में पंजीरी आदि का वितरण तो किया ही जा रहा, गर्भवती माताओं के स्वास्थ्य की जांचकर आयरन व अन्य प्रकार के विटामिन की गोलियां दी जा रही हैं ताकि कुपोषण को जड़ से समाप्त किया जा सके।

सामुदायिक गतिविधियों से पोषण पर जागरूकता: पोषण माह के दौरान सामुदायिक स्तर पर आयोजित की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों का विशेष आयोजन किया जा रहा है। जिसमें अन्नप्राशन दिवस, गोदभराई एवं प्रारम्भिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा दिवस के आयोजन मुख्य रूप से शामिल है।

गृह भ्रमण पर बल: आँगनवाड़ी सेविका अपने-अपने पोषक क्षेत्र में पूर्व नियोजित घरों का भ्रमण कर रही हैं। साथ ही कमजोर नवजात शिशु की पहचान, 6 माह से अधिक उम्र के बच्चों को ऊपरी आहार, महिलाओं में एनीमिया की पहचान एवं रोकथाम तथा शिशुओं में शारीरिक वृद्धि का आंकलन करने का कार्य कर रही हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected By Awaaz Times !!