गोपालगंज

गोपालगंज: आसमान में सूरज की तपती गर्मी और कोरोना महामारी को लेकर परेशानियों का सफ़र

गोपालगंज: ऊपर आसमान में सूरज की तपती गर्मी और नीचे कोरोना महामारी को लेकर परेशानियों का सफ़र. शायद यह बिहार में आ रहे वैसे हजारो मजदूरो की दास्ताँ है. जो देश में लॉक डाउन के बाद से ही लगातार पैदल चलते आ रहे है. रास्ते में किसी ट्रक वाले को इन मजदूरो पर दया आ गयी तो उन्हें बीच रास्ते में लिफ्ट दे दिया.

गुडगांव से करीब एक दर्जन से ज्यादा लोगो का जत्था चार दिन पहले बिहार के दरभंगा जिले के लिए पैदल ही चल दिया. इस जत्थे में करीब आधा दर्जन से ज्यादा महिलाये , दो तीन बच्चे है और चार पांच पुरुष. ये सभी लोग हरियाणा में काम करते थे.अपना परिवार चलाते थे.

अपने घर वापस लौट रहे जत्थे में शामिल एक महिला रजिया खातून ने बताया की उनका बेटा और बहु पहले ही गांव वापस लौट गए थे. वे भी कई दिनों से घर वापस लौटना चाह रही थी. लेकिन लॉक डाउन की वजह से कोई साधन नहीं मिल रहा था. अंत में उन्होंने अपने अन्य साथियो और पड़ोसिओ के साथ दरभंगा वापस लौटने का फैसला किया. वे भीषण गर्मी का परवाह किये बिना ही पैदल अपने बच्चो और दूसरी महिलाओ के साथ चल दी. रास्ते में एक ट्रक वाले को इन लोगो पर दया आई. उसने सभी पैदल चलने वालो अपने ट्रक पर बैठा लिया. महिला ने बताया की क्या करे सर, मुसीबत है. घर जाना जरुरी है. ट्रक वाले को मोह आ गया. अब हमलोग किसी तरह घर पहुच जायेंगे. इतनी गर्मी में सफर करना उनकी मज़बूरी है.

दरभंगा जा रही एक और महिला ज्ञान्ति देवी ने बताया की कोरोना ने मुसीबत कर दिया है. ट्रेन से सफर करने के लिए उनके पास पैसे नही थे. बहुत मुसीबत थी. इसलिए गुडगांव से अपने बच्चो को लेकर चल दिए. ट्रक वाला उन्हें बिना पैसे के ही लेकर जा रहा है. जहा छोड़ देगा वहा से कोई और साधन देख लेंगे.

बिहार के सभी प्रवासी मजदूरो को घर वापसी के लिए बिहार सरकार , केंद्र सरकार और रेलवे लगातार प्रयास कर रहा है. प्रतिदिन कई दर्जन से ज्यादा श्रमिक स्पेशल ट्रेने भी चल रही है. उसके टिकट भी फ्री मे दिये जा रहे है. साथ में खाने और पिने के लिए पानी भी दिए जा रहे है.

बावजूद इसके लोग अपनी जान जोखिम में डालकर अपने घर के लिए पैदल ही चल रहे है. गोपालगंज के यूपी सीमा सटे जलालपुर रेलवे स्टेशन रोजाना 04 से 05 श्रमिक स्पेशल ट्रेने मधुबनी , दरभंगा , सुपौल , अररिया , कटिहार सहित कई जिलो के लिए चल रही है. लेकिन शायद जानकारी के अभाव में लोग अपनी जान जोखिम में डालकर ऐसे ही सफर पूरा कर रहे है.

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