गोपालगंज: राजस्थान के कोटा से पैदल चले करीब डेढ़ सौ मजदूरो का जत्था पंहुचा जलालपुर चेकपोस्ट
गोपालगंज: राजस्थान के कोटा से पैदल चले करीब डेढ़ सौ मजदूरो का जत्था गोपालगंज पंहुचा। यहाँ बिहार की सीमा से सटे कुचायकोट के जलालपुर चेकपोस्ट पर मजदूरो का रजिस्ट्रेशन कराने से पहले उन्होंने अपनी पैदल चलने की दस्ता शेयर की।
महेश्वर शर्मा बिहार के मधेपुरा के रहने वाले है। अपने अन्य साथियो के साथ राजस्थान के कोटा में रहकर मजदूरी करते थे। वहा इनके द्वारा फ़ास्ट फ़ूड रेस्टुरेंट में मजदूरी की जाती थी। अब देश में कोरोना महामारी को लेकर देश में लॉक डाउन है। लॉक डाउन की वजह से कोटा के सभी होटल और स्ट्रीट फ़ास्ट फ़ूड की दुकाने बंद हो गयी। दुकानों के बंद होने से महेश्वर शर्मा जैसे लोगो की हालत ख़राब होने लगी। इनके पास रखे जमा पूंजी भी खतम हो गए। लॉक डाउन का हाल के दिनों में ख़तम होने के आसार नहीं दिख रहे है। जिसकी वजह से इन्होने कोटा से सैकड़ो किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर वापसी की सोची।
इनकी टीम के एक और सदस्य है रामनरेश सहनी। रामनरेश भी कोटा में रहकर फ़ास्ट फ़ूड की दुकान चलाते थे। लेकिन पैसे की तंगी होने के बाद इनके पास भी खाने की समस्या हो गयी। रामनरेश सहनी और महेश्वर शर्मा अपने डेढ़ सौ साथियो के साथ पैदल ही मधेपुरा के लिए चल दिए। ये लोग तीन दिन पहले कोटा से चले थे। प्रत्येक व्यक्ति के पास ज्यादा पैसे भी नहीं थे। लेकिन ये लिकं अपने साथ भूंजा और चुडा लेकर कोटा से चल दिए। रास्ते में कही कही इन्हें कोई ट्रक मिला तो उसमे बैठ गए और जहा तक वे पहुच सकते थे गाड़ी से पहुचे नहीं तो पैदल ही ये लोग गोपालगंज में पहुच गए।
इनके पास रखे हजार पंद्रह सौ रूपये भी खर्च हो गए। खाने के नाम पर सिर्फ चुडा और भूंजा खाकर इन्होने अपनी भूख मिटाई। गोपालगंज पहुचने के बाद इन सभी लोगो का रजिस्ट्रेशन कराया गया है। इनकी स्क्रीनिंग करायी जा रही है। इसके बाद ये बिहार सरकार के द्वारा आवंटित बसों से उनके गृह जिले में भेजे जायेंगे।