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कोर्ट के आदेश के बावजूद शनि शिंगणापुर में नहीं मिला महिलाओं को प्रवेश

शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर चल रहा विवाद बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देशों के बावजूद रुकने का नाम नही ले रहा है। कोर्ट ने शुक्रवार को निर्देश देते हुए कहा था कि पूजा स्थलों पर जाना महिलाओं का मूल अधिकार है लेकिन फिर भी आज भूमाता ब्रिगेड की 2 दर्जन से अधिक महिला कार्यकर्ताओं को शनि शिंगणापुर मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया।

आज भूमाता ब्रिगेड की महिला कार्यकर्ताओं को शनि मंदिर के मुख्य परिसर में प्रवेश से पुलिस और स्थानीय लोगों ने रोक दिया। भूमाता ब्रिगेड की कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह कोर्ट की अवमानना है और वह मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा सकते हैं।

भूमाता ब्रिगेड की प्रमुख तृप्ति देसाई ने कहा था कि अगर कोर्ट के आदेश के बाद भी उन्हें प्रवेश से रोका गया तो वे मुख्यमंत्री के खिलाफ कोर्ट की अवमानना के तहत एफआईआर दर्ज कराएंगे।

आज शनिवार सुबह भूमाता ब्रिगेड की 2 दर्जन से अधिक महिला कार्यकर्ता शनि मंदिर के लिए रवाना हुए थे। देसाई ने पुणे के लिए रवाना होने से पहले कहा, ‘उच्च न्यायालय द्वारा महिलाओं के पक्ष में फैसला दिए जाने के बाद हम मंदिर के पवित्र चबूतरे पर पहुंचने को प्रतिबद्ध हैं और हमें विश्वास है कि पुलिस हमें रास्ते में नहीं रोकेगी।’

साथ ही देसाई ने मुख्यमंत्री फडणवीस से आग्रह भी किया था कि वह स्थानीय प्रशासन और पुलिस को निर्देश दें कि वे मंदिर में शांतिपूर्ण ढंग से उनके प्रवेश और भगवान शनि की पूजा करने की अनुमति देने में उनका सहयोग करें। हालांकि, ऐसा हुआ नहीं।

वहीं मंदिर में 400 साल पुरानी परंपरा को कायम रखने के लिए गठित कार्य समिति के सदस्य हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पर विचार कर रहे हैं। कार्य समिति के सदस्य शंभाजी दाहतोंदे ने कहा, ‘हम उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ जल्द ही सुप्रीम कोर्ट जाएंगे क्योंकि यह श्रद्धालुओं के विश्वास की रक्षा करने का मामला है ।

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