ममता ठाकुर को ममता बनर्जी समझ बैठे रेल मंत्री प्रभु, लंच पर बुलाया
नाम का कन्फ्यूजन तो स्कूल के दिनों में भी होता है लेकिन ये जो कन्फ्यूजन हुआ है उसे जानकर आप भी अपनी हंसी नही रोक पाएंगे। ये कन्फ्यूजन रेल मंत्री सुरेश मंत्री के साथ हुआ जब वे TMC सांसद ममता ठाकुर को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समझ बैठे और उन्हें अपने घर लंच के लिये बुला लिया।
दरअसल, पश्चिम बंगाल के बनगाव से तृणमूल सांसद ममता ठाकुर के सेक्रेट्री तपन रॉय ने रेल मंत्रालय के दफ्तर में कॉल करके प्रभु से मुलाकात का वक्त मांगा। ‘रॉय’ और ‘ममता’ नाम सुनकर रेल मंत्रालय के अधिकारियों ने इसे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दफ्तर से कॉल समझा। इसकी वजह यह थी कि पूर्व रेलमंत्री ममता बनर्जी के तत्तकालीन पीएस का नाम भी तपन रॉय था।
कॉल के 25 मिनट बाद ठाकुर के सेक्रेट्री को मंत्रालय से कॉल आई और कहा गया कि प्रभु के साथ ममता की बैठक पांच मिनट की नहीं होगी, बल्कि उन्हें उनके मंत्री के घर लंच के लिए बुलाया गया है। ममता बनर्जी की कॉल समझ प्रभु ने आठ मार्च के अपने सारे अप्वाइंटमेंट कैंसिल कर दिए। इतना ही नहीं, बल्कि ममता से बैठक की बातचीत का एजेंडा तैयार कर लिया गया और उनके लिए गिफ्ट्स खरीद लिए गए और ममता ठाकुर और उनके साथी को लंच पर एक बजे आमंत्रित किया गया।
ठाकुर के पीएस ने बताया कि जब रेल मंत्रालय से उनके पास कॉल आया और पूछा गया कि मैडम दिल्ली कब आ रही हैं तो उन्हें लगा कि कुछ गलत है। इसके बाद बैठक से कुछ मिनट पहले भी रेलमंत्री के एक सहयोगी का कॉल रॉय के पास आता है और उनसे पूछा जाता है कि क्या मैडम दिल्ली आ गईं? रॉय ने बताया कि तब हमने उनसे कहा कि उनसे कुछ गलती हो गई है। क्या वे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तो नहीं समझ रहे हैं ? इस पर उन्होंने कहा हां।
जब मैंने उन्हें बताया कि आपसे मिस्टेक हुई है तो पहली बार तो उन्होंने विश्वास नहीं किया। उसके बाद तुरंत बनर्जी के सहयोगी रतन मुखर्जी को कॉल किया गया। मुखर्जी ने तपन रॉय सीनियर को कॉल किया। तपन रॉय सीनियर ने बताया कि मैंने उन्हें बताया कि ममता बनर्जी इस तरह से अप्वाइंटमेंट नहीं लेती हैं और इस बारे में हमें जानकारी होती है। अप्वाइंटमेंट के लिए हम रेल मंत्री के पीएस को डायरेक्टर कॉल कर सकते हैं। हम लोग रेलवे बोर्ड के लैंडलाइन नंबर पर कॉल नहीं करेंगे। वे कन्फ्यूज कैसे हो सकते हैं?
ममता ठाकुर ने बताया कि वे उनके क्षेत्र के रेलयात्रियों को हो रही समस्याओं के बारे में प्रभु से बात करना चाहती थी। इसके साथ ही वे अपने क्षेत्र के लोकल स्टेशन का नाम बदलने की मांग भी करना चाहती थी। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि हमारा इरादा कंफ्यूजन पैदा करने का नहीं था। लंच, नाम और हर चीज को लेकर जो कंफ्यूजन पैदा हुआ वो रेलवे मंत्रालय की ओर से था, हमारी ओर से कुछ भी नहीं था।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद प्रभु ने अपने सहयोगियों और अधिकारियों पर गुस्सा निकाला। मंत्री के दफ्तर में कॉल उठाने वाले टेलीफोन ऑपरेटर नीतीश की कहीं और पोस्टिंग कर दी गई है। प्रभु अपने पीएस डॉ. संजीव कुमार को भी बदल रहे हैं, हालांकि, कुमार का कहना है कि वो तो इस घटना से पहले ही जाने वाले थे। उन्होंने बताया कि वे ट्रेनिंग पर जा रहे हैं और उनका जाने से ममता घटना का कोई लेना देना नहीं है। ठाकुर के सेक्रेट्री तपन रॉय का कहना है कि मुझे कहा गया है कि मैं अपने आपको तपन रॉय जूनियर के नाम से पूकारूं। लेकिन मैंने पहले भी इसी नाम से पीएमओ और अन्य मंत्रालायों से संपर्क किया है। पहले तो कभी भी ऐसा कंफ्यूजन पैदा नहीं हुआ।
हालांकि, आखिर में ठाकुर को कुछ दिनों बाद बजट सेशन के दौरान प्रभु से मिलने का मौका मिल गया। यह मुलाकात पांच मिनट की ही थी। इसके साथ ही ठाकुर को प्रभु के दफ्तर से जवाब भी मिला है कि उनकी मांगों पर ध्यान दिया जाएगा।