गोपालगंज: मानसून आने के बाद गंडक के जलस्तर में वृद्धि, तटबंधो के किनारे बसे ग्रामीणों की उडी नींद
गोपालगंज: मानसून के आने के बाद अभी गंडक के जलस्तर में भले ही मामूली वृद्धि हुई हो। लेकिन गंडक में जलस्तर बढ़ने के साथ ही तटबंधो के किनारे बसे ग्रामीणों की नीदं भी उड़ गयी है। यहाँ सदर प्रखंड के दर्जनों गांवो के सैकड़ो किसान बाढ़ की आशंका से भयभीत है।
जलसंसाधन विभाग के द्वारा बाढ़ से बचाव को लेकर गोपालगंज में हर साल करोडो की राशि खर्च की जाती है। बावजूद इसके जिले में हर बार बाढ़ आती है और भारी तबाही लेकर आती है। इस बार भी सदर प्रखंड के मेहंदिया, हिरापाकड़ , जगरिटोला, कटघरवा, मसान थाना सहित करीब एक दर्जन गाँव गंडक के किनारे बसे हुए है। यहाँ सारण बाँध का निर्माण कराया गया है। हर साल इस बाँध की मरम्मती को लेकर सरकार के द्वारा करोडो रूपये खर्च किये जाते है।
ग्रामीणों के मुताबिक इस बार भी जल संसाधन विभाग के द्वारा तटबंधो की मजबूती को लेकर पैसे खर्च्झ किये गए और मजबूत बाँध के निर्माण का दावा किया गया। लेकिन गंडक में अभी महज एक लाख से कम क्यूसेक पानी का बहाव है। जबकि बरसात में इसी नदी में 3 लाख से 5 लाख क्यूसेक तक गंडक में पानी का डिस्चार्ज हो जाता है। जिसकी वजह से कमजोर बाँध के टूटने का खतरा बढ़ जाता है। ग्रामीणों के मुताबिक तटबंधो की मजबूती के लिए संवेदक के द्वारा महज खानापुती की गयी। जिसकी वजह से यह तटबंध कही भी टूट सकता है या फिर उसमे दरारे आ सकती है।
तटबंधो में कटाव की आशंका को लेकर ग्रामीणों भय व दहशत का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है की अगर तटबंध के किनारे बोल्डर पिचिंग का कार्य कराने के बाद उसे सीमेंटेड कर दिया जाता तो इस इलाके में बाढ़ की आशंका कम हो जाती।
बता दे की गोपालगंज सदर अनुमंडल का कुचायकोट, सदर प्रखंड, बरौली और बैकुंठपुर का इलाका सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित इलाका है। जहा वर्ष 2016 में सारण बाँध कई जगह टूट गए थे। जिसकी वजह से जिले में भीषण तबाही हुई थी और हजारो लोग इस बाढ़ से प्रभावित हुए थे। हालाकि सीएम नीतीश के मंत्री जलसंसाधन मंत्री संजय झा ने हवाई सर्वे कर बाँध की मजबूती का दावा किया है।