गोपालगंज कोर्ट से 20 वर्ष पूर्व मामले में राजद नेता शिवानन्द तिवारी को बड़ी राहत, मिली जमानत
गोपालगंज कोर्ट में बीस साल से चल रहे मामले में आज राजद नेता शिवानन्द तिवारी को बड़ी राहत मिली है. वे बीस साल पुराने आदर्श आचार संहिता मामले में गोपालगंज कोर्ट में पेश हुए और नियमित जमानत लेकर बाहर निकले. दरअसल वर्ष 2000 में लोकसभा चुनाव के दौरान वे आदर्श आचार संहिता मामले में आरोपी बनाये गए थे. जिसमे बेल टूटने के बाद उनके खिलाफ गैर जमानतीय वारंट जारी हुआ था. इसी मामले में वे आज गोपालगंज कोर्ट पहुचे. यहाँ उन्होंने एसीजीएम दस सुभाष चन्द्र शर्मा की कोर्ट में हाजिर हुए और नियमित जमानत पर रिहा हुए.
शिवानन्द तिवारी ने कहा की वे गोपालगंज में पूर्व मंत्री बृजकिशोर नारायण सिंह की मूर्ति अनावरण कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आये हुए थे. इसी मामले में उन्हें आचार संहिता उलंघन के आरोप में केस कर दिया गया. जिसमे पूर्व सांसद काली प्रसाद पाण्डेय सहित कई लोगो को आरोपी बनाया गया था. जिसमे वे पूर्व में बेल पर थे. लेकिन बाद में वर्ष 2018 में उनका बेल टूट गया था. शिवानन्द तिवारी के अधिवक्ता शैलेश कुमार तिवारी ने बताया की आज कोर्ट से उन्हें नियमित जमानत मिल गयी है. इस मामले में अगली सुनवाई पर उन्हें सशरीर हाजिर नहीं होना पड़ेगा.
वहीं शिवानन्द तिवारी ने पीएम मोदी पर जमकर हमला भी बोला है. उन्होंने पीएम के द्वारा सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण देने की घोषणा को महज सपना दिखाना बताया है. शिवानन्द तिवारी ने कहा की पीएम नरेंद्र मोदी पूर्व के किये वादों को पूरा नहीं कर सके. और जब विधानसभा चुनाव में तीन राज्यों में एनडीए की करारी हार हुई तब उन्होंने सवर्णों को लुभाने के लिए यह सपना दिखाया है. कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सपना दिखाने में विशेषज्ञ है. 2014 के चुनाव के दौरान पीएम ने नौजवानों को रोजगार देने का सपना दिखाया था. हर साल रोजगार देने का सपना दिखाया था. किसानो को उनकी फसल की दुगुनी कीमत देने का सपना दिखाया. सबका साथ सबका विकास की बता कही थी. लेकिन तीन राज्यो में उनकी सरकार जब हट गयी. तब वे नया सपना लेकर बाजार में आये है. पुराने सपने का जो हाल था. नए सपने का भी यही हाल रहेगा. आगामी चुनाव मोब लिंचिंग , बच्चियो के साथ बलात्कार मुख्य मुद्दा रहेगा. उन्होंने कहा की नोटबंदी बिलकुल तानाशाही दिमाग की उपज थी. इस तरह सभी मुद्दों को लेकर महागठबंधन चुनाव में उतरेगा और सारे मुद्दे को लेकर जनता के बिच जाएगी. सवर्ण समाज को आरक्षण देने की बात कहने से आगामी चुनाव में एनडीए को कोई फायदा नहीं होगा. यह बिलकुल आसान नहीं है घोषणा करने के बाद उसे अमल में लाना.