सोनिया गांधी से महबूबा मुफ्ती की मुलाकात के बाद J&K में बदले समीकरण
मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महबूबा मुफ्ती से मुलाकात की। कांग्रेस का दावा है कि यह बातचीत सईद के निधन पर संवदेना व्यक्त करने के लिए की गई थी। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में इसके कई और मतलब भी निकाले जा रहे हैं। मीडिया में ऐसी खबरें हैं कि महबूबा मुफ्ती जल्दबाजी में सीएम नहीं बनना चाहती हैं और वह सभी राजनीतिक विकल्पों पर विचार कर रही हैं।
सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि महबूबा मुफ्ती सत्ता की बागडोर संभालने से पहले बीजेपी को स्पष्ट संकेत देना चाहती हैं कि सरकार उनकी मर्जी से ही चलेगी। इसी बात को स्पष्ट करने के लिए उन्होंने चार अहम बातें कही हैं। पहली- महबूबा की सरकार में बीजेपी को डिप्टी सीएम पद नहीं दिया जाएगा। दूसरी- बड़े पोर्टफोलियो पीडीपी के पास रहेंगे। तीसरी- संवदेनशील मुद्दों पर बीजेपी कोई बयानबाजी नहीं करेगी। चौथी- जम्मू-कश्मीर को केंद्र से ज्यादा मदद मिले।
आपको बता दें कि सोनिया गांधी के साथ मीटिंग के तुरंत बाद केंद्रीय मंत्री और बीजेपी कद्दावर नेता नितिन गडकरी महबूबा मुफ्ती से मिलने पहुंचे थे। उन्होंने भी यही कहा कि वह संवदेना प्रकट करने आए हैं, लेकिन बात यह भी कि सोनिया के साथ महबूबा मुफ्ती की मुलाकात के बाद बीजेपी बेचैन है।
गौरतलब है कि 87 सदस्यों वाली जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पीडीपी के 28, जबकि बीजेपी के 25 विधायक हैं। सरकार बनाने के लिए 44 सीटों की जरूरत है। वहीं, सीपीआई (एम)-1, कांग्रेस-12, एनसी-15, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (जेकेपीसी)-2, जम्मू-कश्मीर पीपुल ड्रेमोक्रेटिक (सेकुलर)-1 और 3 इंडिपेंडेंट हैं। महबूबा मुफ्ती अगर चाहें तो कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ मिलकर सरकार बना सकती हैं। इन तीनों दलों की सीटें 55 हैं और बहुमत के लिए 44 सीटों की जरूरत है।