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राष्ट्रपति पद छोड़ने से पहले प्रणब मुखर्जी ने लिया बड़ा फैसला, खारिज की दो बड़ी क्षमा याचिकाएं

भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपना पद छोड़ने से पहले दो और क्षमा याचिकाओं को ठुकरा दिया है। प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल राष्ट्रपति के रूप में 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। राष्ट्रपति ने दोनों क्षमा याचिकाओं को मई के अंतिम हफ्ते में ठुकराया हैं। इस तरह प्रणब मुखर्जी द्वारा क्षमा याचिकाओं की ठुकराए जाने की संख्या 30 हो गई है।

खारिज की गई याचिकाओं में पहला केस 2012 में इंदौर का है, जिसमें तीन दोषी, बाबू उर्फ केतन  (22), जितेंद्र उर्फ जीतू (20) और देवेंद्र उर्फ सनी (22) ने चार साल की बच्ची को अगवा करके उसके साथ दुष्कर्म किया था और हत्या कर दी थी। बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के बाद आरोपियों ने उसका गला घोंटकर हत्या कर दी थी और शव को नाले में फेंक दिया था। तो वहीं दूसरे केस 2007 में पुणे का है, जिसमें कैब ड्राइवर पुरुषोत्तम दशरथ बोराटे ने अपने साथी प्रदीप यशवंद कोकडे के साथ मिलकर, विप्रों में काम करने वाली 22 वर्षिय युवती के साथ रेप कर उसकी हत्या कर दी थी।

इससे पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 26/11 हमले के दोषी अजमल कसाब, 2001 संसद हमले में दोषी अफजल गुरु और 1993 के मुंबई ब्लास्ट में दोषी याकुब मेनन की भी क्षमा याचिका को खारिज कर दिया था। उन्होंने चार मामलों में दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में भी बदल दी थी।

आपको बता दें कि राष्ट्रपति के लिए, दया याचिकाओं पर फैसला लेने के लिए कोई समय सीमा नहीं होती है। पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने भी अपने कार्यकाल में एक भी दया याचिका पर विचार नहीं किया था।

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