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गोपालगंज सदर अस्पताल में चारो तरफ है गंदगी का भरमार, हालत बद से बत्तर

एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की सरकार स्वच्छ भारत अभियान पुरे देश में जोर तोर से चला रहे है लकिन स्वच्छ भारत अभियान की बयार मोदी सरकार के तीन साल बीतने के बाद भी गोपालगंज ISO प्रमाणित सदर अस्पताल तक नही पहुचा है. आलम यह है की सदर अस्पताल में चारो तरफ गंदगी का भरमार है साथ ही अस्पताल प्रांगण में चारो ओर आवारा कुत्तो और सुअरों का बसेरा हो गया है.

सदर अस्पताल गोपालगंज में ना तो शव गृह है और ना ही शव वाहन. तभी तो अस्पताल में इलाज के क्रम में अगर किसी की मौत हो जाती है तो उसकी शव को परिजन रिक्शा पर लाद कर अस्पताल से पोस्टमार्टम गृह तक ले जाने को मजबूर है. लेकिन वहां की हालत और भी खराब है. पुरे शहर की जहाँ पर गंदगी फेका जाता है वहीं पर बना है पोस्टमार्टम गृह. जिसमे न तो दरवाजा है और न ही खिड़की. बदबु इस कदर है की कोई भी डॉक्टर वहां जाने को राजी नही. अस्पताल प्रसाशन के जोर जबरजस्ती पर डाक्टर अपने नाको पर रुमाल रख कर अपनी नौकरी बचाने के लिय मजबूर है.

दूसरी तरफ अगर बात करे तो इस गोपालगंज सदर अस्पताल पर निजी एम्बुलेस मालिक और चालको का भी अस्पताल प्रसाशन की मिली भगत से पूरी तरह कब्जा बनाये बैठे है. पुरे सदर अस्पताल में अगर आप एक घंटा रुक कर देखे तो आपको मरीज तथा मरीज के परिजनों से ज्यादा निजी अस्पताल, जाच घर, एक्स-रे, दवा दुकानों और एम्बुलेंस के दलाल मिलेगे, लेकिन अस्पताल प्रसाशन मुख्दर्शक बनी है. मजबूरी जो भी हो लकिन इस पुरे खेल में कोई परेशान है तो आम जनता.

एक बात आपको बता देना और जरूरी है की यह बिहार का वही जिला है जो बिहार की राजनीती में जिसने जिला से एक दो नही बल्कि तीन तीन मुख्य मंत्री बने वर्त्तमान में बिहार की महागठ्बन्धन सरकार में उप मुख्य मंत्री है इतना ही नही जिनके कन्धो पर पुरे बिहार के अस्पतालों का जिम्मेदारी है वो स्वस्थ मंत्री भी है लेकिन हालत जस की तस है. जैसे पहले था उसी तरह आज भी है. जिससे गोपालगंज की जनता अपने आप को ठगी महसुस कर रही है.

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