गोपालगंज शहर को जाम से कब मिलेगी मुक्ति ?
गोपालगंज। वैसे तो गोपालगंज में तरक्की और विकास की गाड़ी दौड़ने लगी है। कुछ इस तरह के दावे आए दिन प्रशासन से लेकर दल की राजनीति करने वाले नेता करने से नहीं थकते। लेकिन, मुश्किल से 20 मिनट में जिला मुख्यालय की परीधि पैदल तय करने वाले इस शहर में जाम गले की हड्डी टाइप से बना हुआ है। शहर के ट्रैफिक संचालन के लिए किसी तरह का कोई कायदा-कानून नहीं बना है। जब जिसकी मर्जी उसी का अपना कानून।
शहर का मुख्य चौक है मौनिया चौक। इस जगह पर पहुंचने के लिए पैदल दस मिनट और मोटरगाड़ी से पहुंचने के लिए महज पांच से सात मिनट का समय चाहिए। वहीं आप किसी भी साधन से जाएं। मौनिया चौक पहुंचने में कितने घंटें लगेंगे इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।
इसी से सटा हुए है जिला प्रशासन और न्याय प्रशासन का कार्यालय जो ऑफिस टाइम में क्या हालत होती है हर कोई सहज की बांया कर सकता है। यह अलग बात है कि प्रशासन के जब आला अधिकारी निकलते हैं तो पुलिस के जवान पहले से सड़क साफ कराने में लग जाते हैं। हालांकि कई बार उनके रुट में परिवर्तन भी करना पड़ता है।
मौनिया चौक से चार रुट में जाने के रास्ते हैं पहला मेन रोड़, दूसरा थाना रोड़, तीसरा यादवपुर रोड़, और चौथा कलक्ट्रैट रोड़। किसी शहर के जाम का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मेन रोड़ में अगर गलती से कोई गाड़ी घुस जाए तो घंटों मश्क्कत के बाद ही दूसरे रुट से निकाला जा सकता है।
अब रही बात थाना मोड़ की तो मौनिया चौक से नगर थाना की दूरी करीब 200 मीटर है। लेकिन, अगर कोई घटना घट जाए तो इस रुट से पुलिस के आने से पहले ही अपराधी फरार हो जाएगा।
इसी तरह कमोवेश यादवपुर रोड़ की स्थिति भी यही है। इस रुट पर दोनो तरफ से गड़ियों की आवाजाही होती है और रही सही खसर रेड़ी-पटरी वाले निकालते हैं।
सबसे मजेदार बाद बात यह है कि मौनिया चौक के इर्द-गिर्द दर्जन भर बैंक के ऑफिस हैं। कब किस तरह की अनहोनी हो जाए। इसके लिए किसी तरह की व्यवस्था नहीं दिखती है। इन जाम का फायदा उठाकर पिछले कुछ वर्ष पहले कई हत्याकांड को आंजाम इसी चौक के आसपास दिया गया। अपराधी आंखों के समाने भाग निकले थे और पुलिस जाम साफ कराते-कराते काफी देर के बाद पुहंची थी।
जाम का सबसे दुखद पहलू यह है कि अंबेडकर चौक यानी गोपालगंज सदर अस्पताल के पास गोलंबर होने के बाद भी जाम से मुक्ति नहीं मिलती है। दूर-दराज गांव से आए मरीज जाम से रास्ते में ही दम तोड़ने के कगार पर पहुंच जाते हैं। अस्पताल के दूसरे छोर पर मिल रोड़ की हालत भी किसी से कम नहीं है। दूर की गड़ियों की आवाजाही, गन्ना से लदे ट्रक, ट्रैक्टर, बैलगाड़ी वगैर-वगैर जाम गलाकर बैठे रहते हैं।
सबसे चौकाने वाली बात यह है कि इस शहर से राष्ट्रीय उच्च मार्ग होकर गुजरती है। लेकिन, इस पर भी आपको जाम का सामना करना पड़ता है।
बस स्टैंड में तो अक्सर जाम रहता ही है, मगर बस स्टैंड से सवारी उठाने वाली छोटी गाड़ी वाले पोस्ट ऑफिस चौक को ही स्टैंड के रुप में मानते हैं और इसी स्थान से सवारी बैठाते हैं। सासामुसा, कुचायकोर्ट, जलालपुर और पश्चिम दिशा की ओर जाने वाली गाड़ियों के लिए भी अवैध स्टैंड पोस्ट ऑफिस चौक मशहूर हो गया है।
इसी तरह से यादवपुर की ओर जाने वाली गाड़ियां डीडीसी आवास के पास से सवारी को बैठाना शुरू कर देते हैं। पुरब दिशा यानी बरौली, माझा और मोतिहारी, बेतिया की तरफ जाने वाली गाड़ियां अस्पताल के पास से ही सवारी को बैठने और जाम लगाए रहते हैं। अस्पताल मोड़ से ही सीवान, मीरगंज और थावे की ओर जाने वाले लोगों को गाड़ी वाले जबरदस्ती बैठाने लगते हैं।
अब आप ही बताइए कि इस शहर जाम से मुक्त कैसे होगा और जाम का दोषी कौन है…।
Make overbridge and put divider on road