सिवान सदर अस्पताल में संवाद संकलन के दौरान डॉक्टर ने पत्रकार पर किया हमला, मामला दर्ज
सदर अस्पताल सिवान में चिकित्सकों की गुंडई इस कदर बढ़ गई है कि अब पत्रकारों को भी वे अपना निशाना बना रहे हैं। रविवार को मारपीट के दौरान घायलों के सदर अस्पताल में आने की सूचना पर समाचार संकलन करने गए पत्रकार आशुतोष कुमार अभय के साथ वहां इमरजेंसी में तैनात डॉ. निसार अहमद ने न केवल मारपीट की, बल्कि इस दौरान पत्रकार के गले से सोने की चेन और जेब से पांच हजार रुपये भी गायब हो गए। इतना ही नहीं सूचना पर पहुंचे टाउन इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ने भी चिकित्सक का ही पक्ष लिया और पत्रकार की पिटाई करते हुए उसे हिरासत में ले लिया। पत्रकारों के साथ वार्ता कर के बाद पीआर बांड भरवाकर पत्रकार को थाने से छोड़ा गया।
बता दें कि रास्ते के विवाद में पचरूखी थाना के जसौली गांव में मारपीट हुई थी जिसमें दोनों पक्षों से दर्जन भर लोग घायल हुए हैं। इलाज के लिए ये लोग सदर अस्पताल लाए गए तो कवरेज के लिए दैनिक जागरण से आशुतोष कुमार अभय को सदर अस्पताल भेजा गया। वहां पहुंचकर उन्होंने अॉन ड्यूटी चिकित्सक डॉ. निसार अहमद से कुछ पूछा तो वे भड़क गए। उन्हें बताया गया कि पत्रकार हैं तो उनका कहना था कि पत्रकार तोप होता है क्या? आशुतोष ने कहा कि जानकारी देना आपका फर्ज है। इस पर उन्होंने गाली-गलौज करते हुए कहा कि आप हमें फर्ज समझाएंगे। इसके साथ ही कॉलर पकड़कर पिटाई करने लगे। इसी दौरान अस्पताल के अन्य स्टॉफ भी आ गए और चिकित्सक का साथ देने लगे। इस दौरान किसी ने गला भी दबाया। जमकर पिटाई के बाद पत्रकार को इमरजेंसी से बाहर कर दिया गया। बाहर आने पर पुलिस का भी रवैया पत्रकार के साछ इसी तरह का रहा। इस बीच सूचना मिलने पर टाउन इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सदर अस्पताल पहुंचे। उन्होंने चिकित्सक की ही बात का समर्थन कर पत्रकार को दोषी बताते हुए हिरासत में ले लिया और थाना भेज दिया। आशुतोष ने बताया कि टाउन इंस्पेक्टर ने भी उनकी पिटाई की। इसकी जानकारी जब जिले के पत्रकारों को हुई तो सभी ने एक स्वर में प्रशासन सहित चिकित्सक के कुकृत्य की की निंदा की। सभी मीडिया हाउस के पत्रकार थाना पहुंचे और साथी संग किए गए दुर्व्यवहार का विरोध किया। इस मामले में पुलिस की अनदेखी सामने आई और पाया गया कि मौखिक सूचना पर ही पुलिस ने पत्रकार को हिरासत में ले लिया था। जबकि पत्रकार
के आवेदन पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। काफी विरोध के बाद पत्रकार को पीआर बांड पर छोड़ा गया। खबर प्रेषण तक पुलिस ने पत्रकार के आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की थी और न ही टाउन इंस्पेक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई।