आज से 100 साल पहले महात्मा गांधी ने बिहार की धरती पर पांव रखे थे
महात्मा गांधी ने आज से ठीक 100 साल पहले 10 अप्रैल 1917 को पहली बार बिहार की धरती पर पांव रखे थे। दिन के पहले पहर बांकीपुर स्टेशन (अब पटना रेलवे स्टेशन) पर चंपारण के किसान नेता राजकुमार शुक्ल के साथ उतरे थे। हालांकि तब उन्हें बिहार में इक्का-दुक्का लोग ही जानते थे वह भी सिर्फ नाम से। इसलिए उस दिन गांधीजी को लेने स्टेशन पर कोई आया भी नहीं था।
वे बिल्कुल आम आदमी की तरह डॉ राजेंद्र प्रसाद के बुद्ध मार्ग स्थित आवास पर पहुंचे। उसी दिन बापू राजेंद्र प्रसाद के घर से लंदन में लॉ के सहपाठी मौलाना मजहरुल हक के सिन्हा लाइब्रेरी के पास स्थित घर गए। बापू अपने सहपाठी हक साहब के घर कुछ ही देर रुके। गांधी संग्रहालय के सचिव रजी अहमद के अनुसार हक साहब अपने मित्र मोहन दास करमचंद गांधी को कम से कम तीन-चार दिन अपने घर रहने की गुजारिश कर रहे थे।
लेकिन बापू चंपारण के किसानों पर हो रहे अंग्रेजी जुल्मों को देखने-जानने को व्याकुल थे। उन्होंने अपने सहपाठी के बार-बार के आग्रह को शालीनता से नकार दिया। 10 अप्रैल की शाम को ही वे मुजफ्फरपुर के लिए रवाना हो गए। शाम में गंगा नदी पार कर हाजीपुर पहुंचे। फिर वहां से 15 अप्रैल को मोतिहारी के लिए रवाना हो गए।
गांधीजी बिहार में 10 अप्रैल 1917 को जरूर पहली बार आए थे, लेकिन उसके बाद बिहार से ऐसा लगाव हो गया कि 8 अगस्त 1947 तक अविभाजित बिहार के अलग-अलग हिस्सों में अनगिनत बार आए। उन्होंने खुद भी कहा था, ‘चंपारण ने मुङो हिन्दुस्तान से परिचित कराया।’ गांधीजी की बिहार की अंतिम यात्र 8 अगस्त 1947 रही। इसी दिन पीयू के छात्रों को संबोधित कोलकाता रवाना हो गए।