मुसलमान आसिफ का दिल धड़का हिन्दु अर्जुन के सीने में, हार्ट ट्रांसप्लांट की अनूठी मिसाल
गुजरात के अहमदाबाद में सांप्रदायिक सौहार्द की एक अनूठी मिसाल सामने आई है। एक ब्रेन डेड मुस्लिम युवक के दिल से हिंदू युवक के सीने को धड़काया गया और हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद उस हिंदू युवक को एक नई ज़िंदगी दी गई। भावनगर में सड़क दुर्घटना में जांन गंवा चुके युवक आसिफ के दिल को अहमदाबाद सीम्स हॉस्पिटल लाया गया। यहां जामनगर के किसान अर्जुनभाई के शरीर में आसिफ के दिल को ट्रांसप्लांंट किया गया।
द टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, 47 साल के अर्जुनभाई अंबलिया को भावना नगर के आसिफ जुनेजा का दिल ट्रांसप्लांट किया गया। एक चार्टेड प्लेन के जरिए सोमवार को आसिफ का दिल भावना नगर से अहमदाबाद भेजा गया, जिसे एक निजी अस्पताल में ट्रांसप्लांट किया गया।
17 दिसंबर को भावनगर के शिहोर तहसील के सणोसरा गांव के पास चोरवडला में रहने वाले आसिफ खेत से घर लौट रहे थे। तभी राजकोट हाइवे पर सड़क क्रॉस करते वक्त एक कार की टक्कर से घायल हो गए। आनन-फानन में आसिफ को भावनगर की सर टी हॉस्पिटल में लाया गया, जहां पर डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेनडेड घोषित कर दिया।
रिपोट्स के मुताबिक, इसके बाद आसिफ के परिवार वालों ने आसिफ की किडनी और हार्ट दान करने का फैसला लिया। आसिफ का हार्ट जामनगर के किसान अर्जुनभाई के शरीर में लगाया गया और उनको नया जीवन मिला। डॉक्टर ने बताया कि उन्होंने इस हर्ट ट्रांसप्लांट के लिए जानकारी जुटानी शुरू कर दी।
जिसके दौरान उन्हें आसिफ के बारे में पता चला। इसके साथ ही डॉक्टरों ने यह बताया कि आसिफ का ब्ल्ड ग्रुप ओ पोजेटिव है जो किसी को भी दिया जा सकता है और आसिफ का ब्रेन भले ही डेड रहा हो गया था, बाकि अंग पूरी तरह फिट थे।
डॉक्टर धिरेन शाह ने बताया कि अर्जुन को जमनानगर के एक अस्ताल में भर्ती कराया गया, जो हिस्टामिन कार्डिएक डिसऑर्डर नाम की बीमारी से पीड़ित थे। इसके बाद अरजान को हमने वेन्टिलेटर और बैलून पंप के सहारे रखा, लेकिन जब अर्जुन के बचाने की कोई उम्मीद नहीं रही तब हमें ब्रेन डेड हो चुके आसिफ के बारे में पता चला।
सीम्स के डॉक्टर की टीम भावनगर गई थी। वहां आसिफ के शरीर से दिल निकालकर सुरक्षित अहमदाबाद आए और यहां पिछले 15 दिनों से भर्ती जामनगर के अर्जुनभाई के शरीर में ऑपरेशन कर आसिफ का दिल लगाया था। सोमवार को 9 बजकर 30 मिनट पर यह सर्जरी शुरू की गई जो लगभग एक घंटे तक चली और यह ट्रांसप्लांट कामयाब रहा।