नोटबंदी : अब 50 दिन वादे के बचे है 20 दिन, न कालाधन आया, न कर्ज सस्ता हुआ
प्रधानमंत्री द्वारा 8 नवंबर को घोषित की गयी डीमोनेटाइजेशन यानी नोटबंदी को आज 8 दिसंबर को एक महीना पूरा हो गया। सरकार ने जब 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की थी तब इसके पीछे तर्क यही दिया था कि इससे वो नोट खत्म हो जायेंगे जो लोगों ने कई समय से घरों में कालेधन के रूप में दबा कर रखे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों से कहा था कि मुझे आप 50 दिन दीजिये सबकुछ सामान्य हो जाएगा। आइये देखते हैं नोटबंदी को लेकर सरकार ने जो दावे किये थे उनमे वह कितनी सफल हुई।
नोटबंदी के समय ज्यादातर दावे किये गए थे कि देश में नगदी में पड़ा कालाधन इतना बढ़ चुका है कि बैंकों में इससे कम पैसे बच गए है। कहा गया कि नोट बदलने से ये कालाधन नष्ट हो जायेगा। लेकिन अब जो स्थित है वह चौकाने वाली है। सरकार ने जो 14.5 लाख करोड़ के नोट चलन से बाहर किये थे उनमे से 82 फीसदी यानी 11.85 लाख करोड़ बैंकों में वापस आ चुके हैं।
अभी पैसे जमा कराने के 23 दिन बाकी है। इसका मतलब यह है कि अगर ज्यादातर पैसा बैंकिंग सिस्टम में आ चुका है तो फिर वह कालाधन कहाँ गया जिसके नष्ट होने की बात कही जा रही थी। इसका मतलब यह हुआ है कि लोग अपना कालाधन सफ़ेद करवाने सफल हुए हैं। बीजेपी के ही राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि सरकार ने नए आयकर कानून (50-50) के जरिये कालेधन वालों को सफेद करने का मौका दिया। राज्यसभा में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि अगर सारा कालाधन बैंकिंग सिस्टम में आ गया तो फिर ये तमाशा क्यों किया गया।
नोटबंदी के समय सरकार ने यह भी दावा किया था कि इससे लोगों का कर्ज सस्ता होगा। लेकिन सरकार ने अपनी नै मौद्रिक नीति में ब्याज दरों में कोई कटौती नही की। रेपो रेट 6.25 बरकरार रखा। जबकि एसबीआई की चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य समेत कई अर्थशास्त्री कह रहे थे कि इससे ब्याजदर 0.5 प्रतिशत कम हो जाएगी। अमेरिकी फेडरल रिजर्ब बैंक ने ब्याजदर बढ़ाने के संकेत दे दिए हैं। जिससे विकासशील देशों के निवेशक भारत से अपना पैसा निकाल सकते हैं। गेहूं, चीनी की कीमतों में तेजी दिखाई दे रही है। ओपेक देश जनवरी से तेल उत्पादन में कटौती करेंगे। इससे महंगाई बढ़ सकती है। शायद यही कारण है कि सरकार कर्ज सस्ता नही किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों से भावुक अपील की थी कि मुझे आप 50 दिन दे दीजिये सब कुछ ठीक हो जायेगा। लेकिन एक महीने यानी 30 दिन के बाद हालात यह है कि एटीएम और बैंकों की कतारें कम नही हुई हैं। एटीएम लाइन में लगे लगभग 90 लोगों की मौत की खबर है। इन सबकी वजह है बैंकों में करेंसी की कमी। ताजा आंकड़ों की माने तो बैंकों में अब तक 12 लाख करोड़ नोट जमा हो चुके हैं लेकिन आरबीएआई ने महज चार लाख करोड़ नोट यानी 27 फीसदी नोट जारी किये हैं। असल सवाल यही है कि प्रधानमंत्री ने जिन 50 दिनों की बात की थी उनका क्या होगा।