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सरकार ने सुनाया एनडीटीवी इंडिया को एक दिन के लिए बंद करने का फरमान

दो नवंबर को दिल्ली में रामनाथ गोयनका अवार्ड देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हम इमरजेंसी की मीमांसा करते रहें, ताकि देश में कोई ऐसा नेता सामने न आए जो इमरजेंसी जैसा पाप करने की इच्छा भी मन में ला सके.

इसके अगले ही दिन भोपाल में आठ लोगों को संदिग्ध मुठभेड़ में पुलिस ने मार गिराया, दिल्ली में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस उपाध्यक्ष को बार-बार हिरासत में लिया गया. इन छोटी-मोटी खबरों के बीच एक बड़ी खबर भी है जो हम सबको आपातकाल की मीमांसा करने को मजबूरी करती है. ख़बर है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय के एक पैनल ने तय किया है कि एनडीटीवी-इंडिया का प्रसारण एक दिन के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाय.

मंत्रालय के आदेश के अनुसार उसकी एक उच्चस्तरीय समिति ने पठानकाट हमले के दौरान उक्त चैनल की रिपोर्टिंग को देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा क़रार दिया है. इसलिए सज़ा के तौर पर चैनल को 9 नवम्बर को आधी रात 12 बजे से 10 नवंबर को आधी रात तक अपना प्रसारण बंद रखना होगा.

इस खबर के बाद तमाम लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है. वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने लिखा है कि इस दिन एडिटर्स गिल्ड, प्रेस क्लब आदि संस्थाओं को प्रतिरोध के आयोजन करने चाहिए, अगर अपना लोकतंत्र हमें बचा के रखना है, वरना शासन का शिकंजा एनडीटीवी की जगह आगे अभिव्यक्ति के किसी और माध्यम पर होगा.

एनडीटवी ने इस संबंध में एक बयान जारी कर इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा है, “सूचना और प्रसारण मंत्रालय से हमें आदेश मिला है. जिस तरह से एनडीटीवी को निशाना बनाया जा रहा है वह बेहद चौंकाने वाला है. सभी चैनलों और अखबारोंं ने लगभग उसी तर्ज पर ख़बरें की थी, सच तो यह है कि एनडीटीवी की खबर बेहद संतुलित थी. आपातकाल के काले दिनों के बाद, जब माडिया को दबाया गया, इन दिनोंं जिस तरह से एनडीटीवी को निशाना बनाया जा रहा है वह अभूतपूर्व है. एनडीटीवी इस संबंध में सभी विकल्पों पर गौर कर रहा है.”

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