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आओ हम लड़ने के लिए तैयार हैं, देखते हैं पहले कौन हराता है – मोदी

केरल के कोझिकोड में बीजेपी की तीन दिवसीय बैठक में आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर मीडिया की निगाहें टिकी हुई थी। मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा कि एक देश एशिया को रक्त रंजित कर रहा है। उडी हमले को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि हमारे सैनिकों ने आतंकियों को मौत के घाट उतारा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ समय में हमारे सैनिकों ने 110 ज्यादा आतंकियों को मारा है, मोदी ने कहा यह एक मात्र घटना थी जिसमे आतंकी सफल हुए।

प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान के पीएम पर निशाना साधते हुए कहा कि ”वहां के हुक्मरान आतंकियों के लिखे भाषणों से उनका गुणगान करते हैं। मोदी ने कहा मैं पाकिस्तान की जनता से कहना चाहता हूँ कि आपको अपने हुक्मरानों से पूछना चाहिए कि आप पीओके को नही संभाल पा रहे और कश्मीर की बात करते हैं”।

मोदी ने कहा कि ”पाकिस्तान की जनता अपने हुक्मरानों से पूछे कि भारत सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट करता है और आपके हुक्मरान आतंकवाद को एक्सपोर्ट करते हैं। मोदी ने कहा कि मैं पाकिस्तान आओ हम लड़ने के लिए तैयार हैं, आओ देखते हैं कि पहले गरीबी कौन मिटाता है, और देखते हैं कौन जीतता है”।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समाने अब दो मुश्किलें हैं कि वह इस स्थिति में किस इनपुट पर काम करे। पहला इनपुट प्रधानमंत्री मोदी को मीडिया और टीवी चैनलों के जरिये मिल रहा है जो जनभावनाओं का है। प्रधानमंत्री मोदी हमेशा जनभावनाओं को महत्व देते रहे हैं और वर्तमान में लोगों की भावनाएं हैं कि पाकिस्तान को करारा जवाब दिया जाए। यही वादा उन्होंने साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले किया था। अंदाजा लगाया जा रहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए अपने भाषण में उडी का जिक्र करते हुए जवाब देना आसान नहीं होगा। चुनाव से पहले मोदी जनभावनाओं पर चलते थे और अब उन्हें अपने मंत्रालयों और सुरक्षा सलाहकारों के इनपुट पर चलना होगा।

पीएम बनने के बाद मोदी कई चीजे सीखी है और उनका नजरिया अब बदला है। मोदी जानने है कि युद्ध का फैसला लेना इतना आसान नही है क्योकि उन्हें जो इनपुट सशस्त्र बलों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, वित्त मंत्रालय, विदेश मंत्रालय से मिल रहे है उनसे मोदी को पता चल रहा होगा कि युद्ध की दिशा में आगे बढ़ने पर देश के बाहर नतीजे कैसे होंगे और गृह मंत्रालय, ख़ुफ़िया ब्यूरो से मिले इनपुट से कि देश के अंदर इस हमले का क्या नतीजा होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यह भी जान रहे होंगे कि साल 2001 में अटल बिहारी बाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे तब संसद पर हमला था और उन्हें अपना गुस्सा पीना पड़ा था। यही मनमोहन सिंह ने साल 2008 में किया जब जैश ऐ मोहम्मद ने संसद पर हमला  किया था।

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