बिहार में जल्द बढ़ने वाली है बिजली के दाम
केन्द्र सरकार ने कोयले के दाम को बढ़ा दिया है. 30 मई से ही नई दर प्रभावी हो गई है. कई श्रेणियों वाले कोयले के दाम में की गई बढ़ोतरी का औसत लगभग 6.29 फीसदी है. केन्द्र सरकार के इस निर्णय से बिहार में बिलजी महंगी होनी तय है. बिहार की बिजली कंपनी फ्यूल सरचार्ज या अगले साल प्रस्ताव में इसे जोड़कर नया टैरिफ तय करने का अनुरोध कर सकती है. कंपनी की अपील पर आयोग टेरिफ पर फैसला लेगा.
बीते 29 मई को केन्द्रीय कोयला मंत्रालय ने विभिन्न ग्रेडों के कोयले के दाम में बढ़ोतरी की है. ग्रेड वन से लेकर ग्रेड छह वाले कोयले के दाम में बढ़ोतरी नही की गयी. बिजली प्लांट में अधिकतर ग्रेड वन से ग्रेड छह वाले कोयले का ही उपयोग होता है. सभी छह ग्रेडों को मिलाकर हुई बढ़ोतरी का औसत 6.29 फीसदी है. लेकिन बिहार पर इसका असर दोगुना से अधिक होगा. चुंकि बिहार को विभिन्न इकाइयों से बिजली मिलती है. एनटीपीसी बाढ़, कहलगांव व फरक्का में बिजली उत्पादन करने के लिए दूरदराज से कोयला आता है.
हाल ही में पेट्रोल व डीजल के दाम में भी बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में कोयले के दाम में बढ़ोतरी के बाद इसके ट्रांसपोर्टेशन पर भी खर्च बढ़ना तय है. इन्हीं तथ्यों के आधार पर मुख्यमंत्री के उर्जा सलाहकार प्रभात कुमार राय ने कहा कि कोयले के दाम में बढ़ोतरी के बाद बाढ़, कहलगांव व फरक्का की ओर से बिजली के दाम में भी बढ़ोतरी की जाएगी. सात पैसे का अनुमान है. संभव है इससे भी अधिक प्रति यूनिट उत्पाद खर्च हो. उत्पाद इकाइयों से पत्र मिलने के बाद बिहार की बिजली कंपनी फ्यूल सरचार्ज या टैरिफ प्रस्ताव के माध्यम से बिजली महंगी करने का प्रस्ताव विधुत विनियामक आयोग को देगी. अंतिम निर्णय आयोग को लेना है.