गोपालगंज: नवजात शिश़ु मृत्यु दर में कमी लाने तथा देखभाल को लेकर स्टाफ नर्स को दिया गया प्रशिक्षण
गोपालगंज सदर अस्पताल गोपालगंज के एनआरसी बिल्डिंग में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करना, जन्म के समय शिशुओं की उचित देखभाल करना तथा नवजात शिशुओं को जन्म के समय बेसिक पुनर्जीवन प्रदान करना है।
इस दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में सदर अस्पताल गोपालगंज, अनुमंडलीय अस्पताल, रेफरल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत लेबर रूम में कार्यरत ग्रेड ए नर्स जो एन.एस.एस.के. का प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किए हैं, उन नर्सों को इस कार्यक्रम के प्रशिक्षक डॉ सौरभ अग्रवाल एवं डॉ स्वेता के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। इस कार्यक्रम में 32 स्टाफ नर्स ने प्रशिक्षण प्राप्त कर इस कार्यक्रम को सफल बनाया। प्रशिक्षण प्राप्त कर नर्स नवजात शिशुओं को मृत्यु दर को कम करने में सहयोग करेगी एवं नवजात शिशुओं को बेहतर तरीके से देखरेख करेगी।सरकारी अस्पतालों के प्रति लोगों में विश्वास बढ़ेगा।
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी जयंत कुमार चौहान ने बताया कि नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम का उद्देश्य नवजात शिशु परिचर्या और पुनर्जीवन में स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता को प्रशिक्षित करना है। इस कार्यक्रम का शुभारंभ जन्म के समय परिचर्या, हाइपोथर्मिया से बचाव, स्तनपान शीघ्र आरंभ करना तथा बुनियादी नवजात पुनर्जीवन के लिए किया गया है। नवजात शिशु परिचर्या और पुनर्जीवन किसी भी नवजात शिशु कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण प्रारंभिक बिंदु है तथा जीवन में सर्वोत्तम शुरुआत सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। इस नई पहल का उद्देश्य है, कि प्रत्येक प्रसव के समय बुनियादी नवजात शिशु परिचर्या और पुनर्जीवन के लिए प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता होना चाहिए। प्रशिक्षण दो दिनों के लिए है तथा इससे देश में महत्वपूर्ण रूप से नवजात मृत्यु दर में कमी आने की उम्मीद है।
डॉ. श्वेता ने कहा कि मां का पहला दूध बच्चों के लिए काफी लाभदायक होता है। इससे कई बीमारियों से लड़ने की शक्ति बच्चों को मिलती है। साथ ही बच्चों के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित होती है। साथ ही मदर कंगारू के बारे में प्रसूति महिलाओं को बताया गया। इसमें नवजात शिशु को उचित तापमान, नवजात के बाद स्तनपान कराने आदि की जानकारी दी गई है। नवजात की देखभाल में किसी स्तर पर लापरवाही नहीं होनी चाहिए।