गोपालगंज: युवक ने पेश की इंसानियत की मिसाल, थैलीसीमिया पीड़ित युवक को ब्लड देकर बचाई जान
गोपालगंज : ‘मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर, लोग जुड़ते गए कारवां बनता गया’। रक्तदान कर मरीजों को ज़िन्दगी देने वाले डिस्ट्रिक्ट ब्लड डोनर टीम के अनस सलाम की कहानी मजरूह सुल्तानपुरी के इस शेर से बखूबी मेल खाती है। अनस सलाम गोरखपुर, पटना व लखनऊ में हजारों मरीजों व जरूरतमंदों की ज़िन्दगी में नया सबेरा ला चुके है। अनस सलाम सिर्फ रक्तदान ही नही करते बल्कि निर्धन व आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों की इलाज का खर्च भी उठाते है।
इसी क्रम में आज थैलिसिमिया रोग से पीड़ित सदर प्रखंड के रजोखर नवादा गांव निवासी मोहम्मद शाहजमां की अचानक आज तबियत बिगड़ गयी। तबियत बिगड़ते ही परिजनों ने शाहजमां को सदर अस्पताल में भर्ती कराया जहाँ डॉक्टरों ने शाहजमां के शारीर में ब्लड काफी कम होने और तथा ब्लड नहीं बन्ने की बात बताते हुए तत्काल खून चढाने की बात कही। थैलिसिमिया पीड़ित युवक को सदर अस्पताल से बिना डोनर के ब्लड देने का प्रावधान है। लेकिन अस्पताल प्रशासन की मनमानी की वजह से पीड़ित को ब्लड नहीं मिल सका और उसकी जान खतरे में पड़ने लगी। इसी बिच पीड़ित परिजनों ने डिस्ट्रिक्ट ब्लड डोनर टीम के अनस सलाम को इसकी जानकारी दी। अनस ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए खुद रक्तदान करने का भरोसा दिया और ब्लड बैंक में पहुँच कर रक्तदान किया और पीड़ित की जान बचाई।
अनस सलाम ने बताया की रक्तदान जीवनदान है। निश्चित अंतराल पर रक्तदान करें। इससे दूसरों का जीवन सही समय पर बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि थैलेसीमिया अनुवांशिक बीमारी है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति के शरीर में जितना रक्त बनना चाहिए, नहीं बन पाता है। इससे शारीरिक कमजोरी और अन्य समस्याएं आती हैं। पीड़ित व्यक्ति को महीने में दो बार ब्लड चढ़ाना पड़ता है। अनस सलाम ने बताया कि थैलेसीमिया का उपचार ब्लडमेरो ट्रांसप्लांटेशन है। इससे खून बनना आरंभ हो जाता है।