गोपालगंज: तीन करोड़ राशि खर्च के बाद भी नहीं पहुंचा नहर में पानी, किसानों के अरमानों पर लगा विराम
गोपालगंज: किसानों के अरमानों पर मलहम पट्टी लगाने के सिवाय अब कुछ नहीं बचा है। सरकार का निशाना केवल किसानों के नाम पर वोट बैंक की राजनीति करना है। यदि सरकार चाहती तो मीरगंज गंडक विभाग के अधिनस्थ खालिसपुर वितरणी नहर से निकलने वाला सियाड़ी और जिगना जगरनाथ उप वितरणी नहर में पानी छोड़कर किसानों के अरमानों को पंख लगा देती। लेकिन सरकार को चलाने वाले स्थानीय एमपी और एमएलए ने आज तक किसानों की समस्या से रूबरू नहीं हुए। नतीजतन करीब तीन करोड़ रुपया सफाई के नाम पर सरकार के खजाना से पानी की तरह बहा दिए गए। लेकिन आज तक नहर से किसानों के फसल की सिंचाई नहीं हो सकी। बेचारे किसान रवि की फसल में भी आस लगाए बैठे है कि नहर की सफाई के बाद पानी मिलेगा।
पिछले पांच वर्षों से नहर में अबतक पानी नहीं पहुंचाई गई। जिसका नतीजा यह है कि जीवट किसान किसी तरह औने पौने दाम पर फसल का पटवन कर रहे है। इसकी जानकारी तब हुई जब बरवां गांव निवासी व सूचना अधिकार कार्यकर्ता कोल इंडिया के सेवानिवृत्त महा प्रबन्धक राघव प्रसाद श्रीवास्तव ने सारण नहर प्रमण्डल के कार्यपालक अभियंता से मांगी गई सूचना पर किसानों को जानकारी हुई।
दिए गए सूचना में यह निहित है कि खालिसपुर वितरणी से निकलने वाले सियाड़ी और जिगना जगरनाथ उप वितरणी नहर की सफाई वित्तीय वर्ष 2017-18 में करवाई गई। जिसमें दो करोड़ छियालीस लाख एकानवे हजार छः सौ चौसठ रुपया लगा है। अब गंडक विभाग पर सवाल यह उठ रहा है कि आखिर क्या वजह है कि अबतक नहर में पानी नहीं छोड़ा गया। इसपर भी सूचना अधिकार कार्यकर्ता राघव प्रसाद श्रीवास्तव ने लोक शिकायत निवारण कार्यालय गोपालगंज और सारण आयुक्त कार्यालय में भी अपना दलील दिया था। जिसपर विभाग के कार्यपालक अभियंता ने पानी शीघ्र छोड़े जाने की बात कही गई थी। लेकिन पांच वर्ष बाद भी नहर में पानी नहीं छोड़ा गया। इससे साफ परिलक्षित होता है कि किसानों की समस्या से रूबरू होने वाला शायद अब कोई नहीं है। बेचारे किसान महाजनों और बैंक के कर्ज से डूब चुके है। किसान अब आत्महत्या पर मजबूर न हो जाय। ऐसी परिस्थिति विभाग ने खड़ी कर रखी है। वैसे किसान भी विभाग से गुहार लगाते लगते थक चुके है।