गोपालगंज

गोपालगंज में आंनबाड़ी केंद्रों पर ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस का किया गया आयोजन

गोपालगंज में सितम्बर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। इस दौरान सामुदायिक गतिविधियों के जरिए पोषण पर जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। इसी क्रम में जिले के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) का आयोजन किया गया। गर्भवती माताओं एवं किशोरियों को पोषण पर जानकारी दी गई। साथ हीं साथ बच्चों के बीच अंडा का वितरण किया गया। प्रत्येक माह के प्रत्येक सप्ताह बच्चों के बीच अंडा का वितरण किया जाता है।

आईसीडीएस के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी शम्स जावेद अंसारी ने बताया वीएचएसएनडी सत्र में गर्भवती माताओं का प्रसव पूर्व जांच एवं बच्चों का टीकाकरण किया गया। साथ ही गर्भवती माताओं, धात्री माताओं एवं किशोरियों को पोषण पर जानकारी दी गई। साथ ही गर्भ के तीन महीने बाद से गर्भवती माताओं को अगले छह माह तक प्रतिदिन एक आयरन की गोली खाने की बात बताई गई। धात्री माताओं को 6 माह तक केवल स्तनपान एवं 6 बाद स्तनपान के साथ शिशु को पूरक आहार देने के विषय में जानकारी दी गई।

आंगनबाड़ी केंद्रों पर लगाये गये सहजन के पौधे: इस दौरान आंगनबाड़ी केंद्रों में सहजन का पौधा रोपण किया गया। पौधों के वृक्ष बनने से पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा तो मिलेगा ही स्वस्थ समाज की परिकल्पना भी साकार होगी। सहजन के प्रयोग से गर्भवती माताओं का स्वास्थ्य बेहतर होने के साथ कुपोषित बच्चों का कुपोषण भी दूर होगा। ये पौधे आम लोगों के लिए भी लाभकारी साबित होंगे।

गुणों की खान सहजन: सहजन गुणों की खान है। इसमें विटामिन ए, बी व सी तो मिलता ही है। साथ ही इसके सेवन से कार्बोहाइड्रेट व प्रोटीन भी प्राप्त होता है, जो लोगों को सुपोषित करने में सहायक साबित होगा। सहजन के पौधे आसपास के वातावरण को भी शुद्ध रखते हैं।

गर्भवती माताओं को कर रही हैं प्रेरित: आंगनबाड़ी केंद्रों पर सहजन के पौधे लगवाने का मुख्य उद्देश्य गर्भवती माताओं को इसके प्रयोग पर बल देना है। उन्हें प्रेरित किया जा रहा सहजन की सब्जी, सूप आदि का प्रयोग करने से उनका स्वास्थ्य तो उत्तम होगा ही जन्में बच्चे भी स्वस्थ होंगे। इतना ही नहीं केंद्र के नौनिहालों को भी इसका सेवन कराया जाएगा ताकि उन्हें विटामिन युक्त आहार मिल सके।

नय प्रयास से दूर होगा कुपोषण: आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिए नित नए प्रयास किए जा रहे हैं। बाल विकास विभाग की ओर से कुपोषित बच्चों को चिह्नित कर उनके स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। बच्चों को पौष्टिक आहार के रूप में पंजीरी आदि का वितरण तो किया ही जा रहा, गर्भवती माताओं के स्वास्थ्य की जांचकर आयरन व अन्य प्रकार के विटामिन की गोलियां दी जा रही हैं ताकि कुपोषण को जड़ से समाप्त किया जा सके।

घर-घर जाकर जच्चा व बच्चा का ख्याल रख रहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता: आंगनबाड़ी कार्यकर्ता डोर टू डोर जाकर जच्चा व बच्चा का ख्याल रख रही हैं। इस कड़ी में अब नई पहल करते हुए प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों पर विटामिन युक्त सहजन के पौधों का रोपण कराने का निर्णय लिया है।

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