गोपालगंज: गांधीजी ने दिया था ‘करो या मरो’ मंत्र का नारा, हिल गयी थी ब्रिटिश हुकूमत की जड़ें
गोपालगंज : अगस्त क्रांति दिवस के मौके पर शुक्रवार को जयप्रकाश विश्वविद्यालय के अंगीभूत बीपीएस कॉलेज में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ विजय कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित संगोष्ठी में छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए इतिहास विभाग की प्रोफेसर डॉ चंचला कुमारी ने कहा कि अगस्त क्रांति से अंग्रेजों की वापसी की उल्टी गिनती शुरू हो गयी थी.
महात्मा गांधी ने आठ अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. यह आंदोलन अगस्त क्रांति के रूप में जाना जाता है. उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण ढंग से किया गया. यह आंदोलन देश भर में तेजी से बढ़ा और अंग्रेजों ने करीब 14 हजार भारतीयों को जेल में डाल दिया. आमतौर पर नौ अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत मानी जाती है, लेकिन ये आंदोलन आठ अगस्त 1942 से आरंभ हुआ था.
वहीं प्राचार्य डॉ विजय कुमार ने कहा कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में शुरु हुआ यह आंदोलन सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था. इस आंदोलन की खास बात ये थी कि इसमें पूरा देश शामिल हुआ. ये ऐसा आंदोलन था जिसने ब्रिटिश हुकूमत की जड़ें हिलाकर रख दी थीं. ग्वालिया टैंक मैदान से गांधीजी ने कहा कि वो एक मंत्र देना चाहते हैं जिसे आप सभी लोग अपने दिल में उतार लें और वो वो मंत्र था करो या मरो था. बाद में ग्वालिया टैंक मैदान को अगस्त क्रांति मैदान के नाम से जाना जाने लगा.
इस मौके पर सहायक प्राचार्य डॉ शंकर दयाल सिंह, प्रो मो. फिरोज आजम, डॉ अभय कुमार राकेश, प्रो ममता कुमारी, प्रो दिलीप कुमार, डॉ जगरनाथ सिंह समेत शिक्षकेत्तर कर्मी व छात्र-छात्राएं मौजूद थे.