गोपालगंज में सूखे से किसानो की हालत हो रही है ख़राब, पूरी तरह से सुखा नदी नहरों का पानी
गोपालगंज में सूखे से किसानो की हालत लगातार ख़राब हो रही है। यहाँ सूखे का आलम यह है की पुराने तालाब और कुएं की कौन कहे नदी, नालों और नहरों का पानी भी पूरी तरह सुख गया है। कल तक जिन नदी नालों में सालो भर पानी भरा रहता है। वे मार्च महीने में ही सुख गए। लिहाजा किसान अपने खेतो की पटवन कर धान के बिचड़े लगाने के लिए भगवान् भरोसे बैठे हुए है।
गोपालगंज की वे नदियाँ और नाले जहा कभी सालो भर पानी भरा रहता है। लेकिन आज हर तरफ इन नदी नालो और नहरों में दरारे साफ़ देखी जा सकती है। गोपालगंज का प्रमुख दाहा नदी, झरई नदी, जो गंडक से निकलकर गोपालगंज शहर होते हुए डुमरिया में मिल जाता है। ये सब नदियाँ पहले ही सुख गयी और इन नदियों का अतिक्रमण कर लिया। यही हाल जिले के सैकड़ो तालाब और कुएं का है। तालाबो को अतिक्रमण का कर लिया गया। कुएं को भर कर उसपर मकान का निर्माण कर लिया। जिसकी वजह से जिले में कई सालो से सूखे के आसार है।
किसानो के मुताबिक नहरों में पानी रहना चाहिए। लेकिन वे भी नदियों के सूखने और बारिश नहीं होने से सुख गए है। लिहाजा किसानो को अभी तक धान का बिचड़ा लगाने के लिए मानसून की बारिश का इंतजार है। किसान अपने खेतो का पटवन करने के लिए डीजल पम्पिंग सेट का सहारा ले रहे है। किसानो के मुताबिक वे दस से बीस हजार रूपये खर्च कर धान का बिचड़ा तो लगा रहे है। लेकिन भीषण गर्मी की वजह से उनकी फसल सुख गयी है।
किसान राजाराम मांझी के मुताबिक सरकार ने किसानो को डीजल अनुदान से लेकर हर तरह की सुविधा की घोषणा करती है। लेकिन वह भी सिर्फ कागजों पर ही है। जिसकी वजह से किसानो की हालत खराब है।
वही बात करे बिहार सरकार के दावों की तो बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशिल कुमार मोदी ने कल सोमवार को जिले में सुखाड़ को लेकर समीक्षा बैठक की। सुशिल कुमार मोदी ने कहा की पूरा बिहार सुखाड़ से जूझ रहा है। औसत वर्षा काफी कम हुई है। मानसून आने में अभी देरी है। प्रदेश के 25 जिलो के 280 प्रखंडो को सुखाड़ क्षेत्र घोषित किया गया था। जिसमे गोपालगंज जिले के भी 14 प्रखंड शामिल है। सुशिल मोदी ने कहा की गोपालगंज के 67 हजार किसानो के खाते में 26 करोड़ 67 लाख रूपये और बिहार के 14 लाख से ज्यादा किसानो के खाते में 925 करोड़ रूपये कृषि इनपुट अनुदान के रूप में भेजे गए है।
बहरहाल सरकार के दावे चाहे जो भी हो लेकिन सूखे से किसान से लेकर हर तबका जूझ रहा है। जरुरत है इससे निबटने के लिए दूरगामी और वैकल्पिक उपायों की।