फ्रीडम 251 : पति पत्नी और सस्ते मोबाइल !
मुल्क में सबसे सस्ता स्मार्ट फ़ोन ”फ्रीडम -251” पेश करने वाली कंपनी रिंगिग बेल कंपनी के दावे और दिखावे पर प्रश्नचिन्ह लगता दीख रहा है। सवाल पर सवाल उठ रहे है, पर जवाब कुछ और ही इशारा कर रहे हैं।कंपनी के 28 वर्षीय डायरेक्टर मोहित गोयल और सीईओ धारणा मोहित गोयल निजी ज़िन्दगी में पति पत्नी है।
मोहित गोयल मूल रूप से शामली उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं। उनके पिता राजेश कुमार एक साधारण सी किराने की दुकान स्टेशन रोड शामली में ही चलाते हैं। दूकान के बोर्ड पर अब भी राजेश कुमार और मोहित कुमार मोबाइल नंबर के साथ लिखा है ताकि ग्राहक थोक भाव में सामान लेने के लिए संपर्क कर सके। भोज से भोजन तक के सभी सामान यहाँ उपलब्ध है।
वही मोहित कुमार अब मोहित गोयल बनकर रिंगिग बेल के डाइरेक्टर के तौर पर सबकी नज़रो में आग गए है। जिसने महज 251 रूपये में स्मार्टफोन देने का वायदा कर पुरे मुल्क में तहलका मचा दिया है। अगर कंपनी के दावों पर यकीन करे तो इस कंपनी ने अब तक 25 लाख मोबाईल सेट्स की बुकिंग कर ली है।
वही, मोहित गोयल की बात करे तो जनाब ने फेसबुक पर खुद को रिंगिग बेल्स कंपनी का ओनर कहते है। साथ ही खुद को एमेटी यूनिवर्सिटी से पढ़ा लिखा बताते है। अब बात कंपनी की सीईओ धारणा गर्ग कि जो अब मोहित से शादी कर के धारणा मोहित गोयल बन चुकी है। इनकी माँ वीणा गर्ग रेलवे मिनिस्ट्री में बड़े पद पर कार्यरत है। वही धारणा ने स्पेक्ट्रम इंस्टिट्यूट ऑफ़ आर्टिटेक्ट एंड डिजाइनिंग से पढाई की है।
प्राप्त सुचना के अनुसार मोहित के पास मोबाइल इंजीनियरिंग से सम्बंधित कोई प्रोफेशनल अनुभव भी नही है। वही जब मोहित गोयल के बारे में जानकारी इकट्ठा करने की मुहीम शुरू की तो कई चौकाने वाले तथ्यों का पता चला। साथ ही जब रिंगिंग बेल कंपनी की जानकारी जुटानी शुरू की तो पता चला कि मोहित की ज़िन्दगी में महज 6 महीने में ही गज़ब का बदलाव आया है। सितम्बर 2015 के पहले एक आम सा शहरी लड़का जो स्टाइलिस और मॉडर्न कपड़ो व ख्यालातों में जीता था। अपने पिता राजेश कुमार के साथ शामली में उनके दूकान पर उनका हाथ बटाता था। अचानक अनायास पता नहीं कैसे अशोक चड्ढा नामक एक शख्स के साथ मिलकर एक दिन बिलकुल फ़िल्मी तरीके से एक मोबाइल कंपनी की नीव डाल देता है। सितम्बर महीने में एक मोबाइल कंपनी रिंगिग बेल्स की शुरुआत करता है। कुछ नए चेहरे भी उसके साथ जुड़ते है। फिर तो मोहित की ज़िन्दगी बदलने लगती है। 13 दिसंबर 2015 को वो धारणा गर्ग से सगाई कर लेता है। फिर 30 जनवरी 2016 को धारणा के संग सात फेरे लेकर अपनी ब्याहता को कंपनी का सीईओ बना देता है।
कंपनी की वेबसाइट पर कंपनी के दफ्तर का पता नोएडा सेक्टर 63 में मकान सख्या B -44 अंकित है। लेकिन कंपनी दफ्तर को देखकर साफ़ अनुमान लगाया जा सकता है कि यह ऑफिस कुछ दिन पहले ही तामझाम से शुरू किया गया है। कंपनी के दफ्तर के बाहर और अंदर गुब्बारे अब भी लटके स्पष्ट दिखाई दे रहे है।
फिर महज 6 महीने के अंदर मोहित की कंपनी भारत के मोबाइल बाजार में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज़ कराने के खातिर अपने फ्लैगशिप “फ्रीडम 251” को लांच करने की शुरुआत करती है। देश के तमाम बड़े अखबारो में पहले पन्ने पर इसके बाबत विज्ञापन दिए जाते है। तमाम दावे किये जाते है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा लांच करने की बात भी जोर शोर से प्रचारित कराइ जाती है।
इस कंपनी ने विज्ञापन में ही करोड़ों रूपये झोक दिये, वही कंपनी ने अपने प्रमोशन में जो स्मार्ट फोन दिखाए उसपर एडकॉम नामक कंपनी का लोगों था। जब इस बाबत एडकॉम कंपनी से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह उन्ही की कंपनी का मोबाइल है। उनका कहना था कि उन्होंने किसी से इस फ़ोन को लेकर कोई डील नही की है। जिसके बाद रिंगिंग बेल पर संदेह और भी गहराता जा रहा है।
अचानक इतना बडा ताम झाम और सेटअप कैसे संभव हो पाया ? पैसा पानी की तरह बहाया गया ? पैसा किसने इन्वेस्ट किया? मोहित जी कल तक आम था महज चन्द महीनो में कैसे खास हो गया। तहकीकात चीख चीख कर इस बात की ताक़ीद कर रहा है कि मोहित द्वारा इतने पैसे का इन्वेस्टमेंट तात्कालिक हालातों में संभव नहीं था और न अब भी है। कयास लगाए जा रहे है कि इसके पीछे कुछ संगठित लोगो का दीमाग काम कर रहा है। वस्तुतः ये पूरा सेटअप काले धन को सफ़ेद करने का नायाब तरीका हो सकता है। कुछ लोगों द्वारा जो पर्दे के पीछे से बहुत ही महीन ताने बाने के साथ इस पूरी प्रक्रिया को स्पांसर कर अपना उल्लू सीधा करना भर चाहते है। वक्त के साथ लगातार गहराते रिंगिग बेल्स के खेल का जल्द ही भांडा फूटेगा। वही तमाम हक़ीक़त और संदिग्ध प्रक्रिया को देखते हुए, टेलीकॉम मिनिस्ट्री ने भी जांच शुरू करवा दी है।