गोपालगंज जिले में सिधवलिया प्रखंड के स्कूलों में प्रयोगशाला बना कबाड़शाला, स्थिति बेहाल
गोपालगंज जिले के सिधवलिया प्रखंड के शाहपुर स्थित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्रयोगशाला को देख सहज अनुमान किया जा सकता है कि यह प्रयोगशाला नही कबाड़शाला है. पूरे देश मे स्वच्छ भारत मिशन के तहत साफ सफाई पर पूरी सरकारी मिशनरी काम कर रही है पर यहां तो इस मिशन की भी हवा निकल गयी है. वर्ष 1947 से इलाके मे सबसे पुराना उच्चविद्यालय रहा. इस विद्यालय ने कई विभूतियों को शिक्षा मे पारंगत किया. प्रसिद्ध चिकित्सक डा.विपिन बिहारी और पूर्व सांसद लालबाबू प्रसाद ने इसी संस्थान से शिक्षा ग्रहण किया था और मंजिल पायी थी. परन्तु आज परिवेश बिल्कुल बदला-बदला नजर आ रहा है.
विद्यालय की प्रधानाध्यापिका दिव्या सिंह बताती हैं कि नामांकित छात्र छात्राओ की संख्या एक हजार दो सौ है और उच्चविद्यालय मे गणित के दो शिक्षक विज्ञान के दो शिक्षक तथा सामाजिक विज्ञान के एक शिक्षक जबकि +2 मे बायोलॉजी के एक अर्थशास्त्र के एक इतिहास के एक राजनीति शास्त्र के एकऔर वाणिज्य के एक शिक्षक के भरोसे तमाम विषयों की पढाई होती है. न तो यहां कोई हिन्दी, संस्कृत न ही अंग्रेजी पढाने वाला कोई है. राम भरोसे हिन्दी और संस्कृत है.
जिले का यह नमूना विद्यालय है जहाँ नौवी के छात्र भी फर्श पर बैठकर अध्ययन करते हैं. बच्चो से शुल्क मे कोताही नही होती. प्रधानाध्यापक कहती है कि नौवी कक्षा मे नामांकन मे नब्बे रूपये ही लिए गये पर नौवी की छात्राएं कहती हैं कि उन्होने एक सौ सतर रूपये दिए है. काफी विरोधाभास का दौर है यहां. +2 के नवनिर्मित भवन मे ही कक्षा आठ और नौ की पढाई होती है. हाईस्कूल का अधूरा भवन एक दशक मे भी नही बना और उसपर जंगल उग आए हैं. अभी हाई स्कूल का अपना कोई भवन नही है.
उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के परिसर मे कब से गिट्टी बालू पड़ा है पर कोई यह बताने को तैयार नही कि वह किसका है और क्यो रखा गया है. +2 कक्षा मे फॉर्म भरना रिजल्ट लेना विद्यालय की नियति है. सबकुछ बस कागजी खानापुरी है. पैसा लाओ फार्म भराओ रिजल्ट बनाओ और घर जाओ.