चाहता हूं कि एक घर ले लूं और यहीं बस जाऊं – गुलजार
बॉलीवुड के मशहूर गीतकार और शायर गुलजार का मानना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बेहतर काम किया है. उन्होंने नीतीश की तारीफ़ करते हुए कहा कि वो नीतीश में मंत्री से बढ़कर एक नेता की छवि देखते हैं.
एक कार्यक्रम में भाग लेने पटना पहुंचे गुलजार ने बेबाक अंदाज में बिहार से अपने लगाव का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि, ‘बिहार बुद्ध की धरती है और बुद्ध मेरे आदर्श हैं.’ इसी कड़ी में पटना से अपने प्यार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि, ‘पटना तो अब मुझे अपने दूसरे घर जैसा लगता है. जब भी यहां आता हूं एक खास तरह का लगाव महसूस करता हूं. मैं तो चाहता हूं कि यहां एक घर ले लूं और यहीं पटना में बस जाऊं.’
गुलजार ने आगे कहा कि, ‘ये बिहार की जमीन है जहां पांच हजार साल की सभ्यता नीचे दबी है. 5000 साल पुरानी विरासत को संजोना मामूली बात नहीं है. कला व इतिहास को लेकर नीतीश कुमार की बातें व योजनाओं से मैं बेहद प्रभावित हुआ था. बिहार म्यूजियम हो या फिर नालंदा में अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय की परिकल्पना, ये सोच एक नेता की ही हो सकती है.
गुलजार ने पटना में लिटरेरी फेस्टिवल में हिंदी और उर्दू को महत्व दिए जाने को लेकर भी नीतीश की प्रशंसा की. उन्होंने अपना अनुभव बयान करते हुए कहा, ‘जयपुर लिटरेरी फेस्टिवल, बेंगलुरु, दिल्ली और अब लखनऊ सहित देश के सभी साहित्य उत्सवों में अंग्रेजी हावी है. मेरा हमेशा से ख्वाब रहा है कि हिंदुस्तानी भाषाओं का एक लिटरेचर फेस्टिवल हो. पटना आकर देखा कि मैं जो सोच रहा हूं वह नीतीश कुमार कर रहे हैं. यह मेरा सपना रहा है और यहां यह साकार हुआ है.’
उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि बिहार में लिटरेरी फेस्टिवल में हिंदुस्तानी भाषा को तरजीह दी गई. इस कारण भी इस जगह का सम्मान मेरी नजर में बढ़ जाता है. नवरस स्कूल ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स की ओर से आयोजित ‘रूबरू- गुलजार के साथ एक शाम’ कार्यक्रम में उन्होंने अपनी शायरी से उपस्थित युवाओं का न सिर्फ मनोरंजन किया बल्कि अपने निराले अंदाज में उनके सवालों के भी जवाब दिए.
एक श्रोता के यह पूछने पर कि, ‘आप ऐसा कैसे देखते हैं जो हम नहीं देख पाते और फिर लिखते हैं तो हम वाह-वाह कर उठते हैं.’ गुलजार ने कहा, ‘देखते तो तुम भी वही हो, पर तुमने लिखने का काम मुझ पर थोप रखा है. मसलन..मैं हकलाने लगा हूं हिचकियां लेकर सारा दिन, मुझे शक है कि सारा दिन तुम मुझे याद करती हो..’
उन्हें देखकर अंदाजा लगता है कि बुढ़ापे की इस दहलीज पर भी कैसे दिल को बच्चा बनाए रखा जा सकता है. यही गुलजार की खूबी है, जो उनकी नज्मों, उनकी गीतों में झलकती है.