राष्ट्रपति भवन की नियुक्तियों पर बवाल, घोड़े की लीद उठाने के लिए सिर्फ SC-OBC क्यों?
राष्ट्रपति भवन में होने जा रही कुछ नियुक्तियों पर अंबेडकर कारवां नाम की एक संस्था ने सवाल उठाए हैं। राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड के लिए तीन पदों पर नियुक्तियां होने जा रही हैं। राष्ट्रपति भवन से जारी अधिसूचना के मुताबिक इस पद पर सिर्फ अनुसूचित जाति और अत्यंत पिछड़ी जाति के लोगों की ही नियुक्ति हो सकती है। इन पदों पर नियुक्त होने वाले लोगों का काम राष्ट्रपति भवन में मौजूद घोड़ों की देख-रख करना है।
इसके अलावा इस पद पर चुने गये व्यक्ति को घोड़ों की देखभाल, अस्तबल की सफाई का काम और घोड़ों की लीद उठाने का भी काम करना होगा। लेकिन अंबेडकर कारवां ने इस वैकेंसी को भेदभाव वाला बताया है। अंबेडकर कारवां दलितों के हित में काम करने वाली एक संस्था है। अंबेडकर कारवां ने इस वैकेंसी पर तंज कसा है और लिखा है कि बीजेपी के दलित और ओबीसी नेताओं को इस पोस्ट के लिए अप्लाई करना चाहिए। अंबेडकर कारवां ने ट्वीट में लिखा है, ‘मुझे लगता है घोड़ों की लीद उठाने के काम में जो आरक्षण दिया है उस में दलित और OBC नेता है जो बीजेपी में उनको अप्लाई करना चाहिए।’
अंबेडकर कारवां ने एक और खबर के हवाले से लिखा है कि राष्ट्रपति के अंगरक्षकों की नियुक्ति में भी जाति विशेष के लोगों को आरक्षण दिया गया है। इसके मुताबिक अंगरक्षक के लिए सिर्फ हिंदू राजपूत, हिंदू जाट और जाट सिख ही अप्लाई कर सकते हैं।
आपको बता दें कि राष्ट्रपति का अंगरक्षक दस्ता भारतीय सेना का सबसे पुराना रेजिमेंट है। इसकी स्थापना अंग्रेजों के अधिकारी वारेन हेस्टिंग्स ने 1773 में की थी। हेस्टिंग्स ने मुगलों के 50 घोडों को चुनकर इस यूनिट की स्थापना की थी। इसी साल बनारस के राजा ने 50 और घोड़े देकर इस यूनिट की शक्ति 100 कर दी थी। तब से लेकर ये दस्ता राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगा हुआ है।