गोरक्षा के नाम पर हिंसा ठीक नहीं है, देश को अहिंसा के रास्ते पर चलना होगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (गुरुवार) से दो दिनों के गुजरात दौरे पर हैं. सबसे पहले वह अहमदाबाद के साबरमती आश्रम पहुंचे, जहां आश्रम के 100 साल पूरा होने के समारोह में हिस्सा लिया. प्रधानमंत्री ने आश्रम में चरखा चलाया. इसके बाद पीएम मोदी ने भीड़ की हिंसा पर कहा कि गाय की सेवा महात्मा गांधी और विनोबा भावे से सीखनी चाहिए.
गोरक्षा के नाम पर हिंसा क्यों? मौजूदा हालातों पर पीड़ा होती है. गाय की सेवा ही गाय की भक्ति है. गोरक्षा के नाम पर हिंसा ठीक नहीं है. देश को अहिंसा के रास्ते पर चलना होगा. गोभक्ति के नाम पर लोगों की हत्या स्वीकार नहीं की जाएगी. अगर वह इंसान गलत है तो कानून अपना काम करेगा, किसी को भी कानून हाथ में लेने की जरूरत नहीं है. हिंसा समस्या का समाधान नहीं है.
भीड़ की हिंसा को गलत बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मरीज की मौत पर अस्पताल को फूंकना गलत है. उस डॉक्टर का कोई दोष नहीं है, जो आपके परिवार के सदस्य की सेवा कर रहा था, लेकिन उस सदस्य को बचा नहीं पाया. लेकिन फिर भी आपको शिकायत है तो कानून है. हिंसा समस्याओं का समाधान नहीं है. हमारा देश अहिंसा और गांधी का देश है.
जो देश चींटी को भी कुछ खिलाने पर विश्वास रखता है, जो देश गली में कुत्ते को भी कुछ खिलाने पर भी विश्वास रखता है उस देश को क्या हो गया है. पीएम मोदी ने एक कहानी के माध्यम से अपनी बात समझाई. उन्होंने कहा कि जब मैं छोटा था तो हमारे घर के पास एक परिवार रहता था. उस परिवार में कोई संतान नहीं थी, जिसके कारण काफी तनाव का माहौल रहता था. काफी समय बाद उस घर में एक संतान का जन्म हुआ. उस समय एक गाय वहां पर आती थी और रोजाना कुछ खाकर जाती थी.
एक बार गाय के पैर के नीचे बच्चा आ गया था, और उसकी मौत हो गई. दूसरे दिन सुबह ही वह गाय उनके घर के सामने खड़ी हो गई, उसने किसी के घर के सामने रोटी नहीं खाई. उस परिवार से भी रोटी नहीं खाई. गाय के आंसू लगातार बह रहे थे. वह गाय कई दिनों तक कुछ नहीं खा-पी सकी. पूरे मोहल्ले के लोगों ने काफी कोशिश की लेकिन गाय ने कुछ नहीं खाया और बाद में अपना शरीर त्याग दिया. एक बच्चे की मौत के पश्चाताप में उस गाय ने ऐसा किया, लेकिन आज लोग गाय के नाम पर ही हत्या कर रहे हैं.