गोपालगंज

गोपालगंज के मोहम्मदपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर स्वच्छ भारत अभियान का नही कोई असर

एक तरफ जहां प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी स्वच्छ भारत अभियान पर दिन रात काम कर रहे हैं और हर विभाग के अधिकारी और कर्मचारी को शिक्षा अभियान को सफल बनाने के लिए निवेदन कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ गोपालगंज जिले की मोहम्मदपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत बद से बदतर है. यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आयुर्वेदिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है लेकिन यहां पर प्रसव कक्ष हो या दवा भंडार हर जगह गंदगी का अंबार आपको देखने को मिलेगा. आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों द्वारा पर्याप्त दवा की उपलब्धि नहीं रहने के कारण एलोपैथी दवा से ही मरीजों की बीमारी दूर करने को मजबूर हैं. जिस अस्पताल में आम आदमी अपना इलाज कराने जाता है लेकिन उसको क्या मालूम की सारे सिस्टम को ताक पर रखकर यहां के डॉक्टर और प्रभारी अपनी मनमानी कर रहे हैं.

जब हमने इस समस्या के बारे में स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी से बात की तो उन्होंने हमको 1 टूक में जवाब दिया की जब हमारे पास चतुर वर्गीय कर्मचारी नहीं है सफाई कर्मी नहीं है तो क्या अस्पताल को हम साफ करेंगे. अब चाहे अस्पताल में फैली गंदगी से कोई बीमार हो या इलाज कराने आए मरीज ठीक हो यह सारी जिम्मेवारी क्या मेरी है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि लाखों लाखों की लागत से स्वास्थ्य केंद्र में जो जांच घर है उसमें मशीन लगाया गया है लेकिन काफी समय से धूल मिट्टी खाने के कारण मशीन खराब पड़ा है. माननीय प्रधानमंत्री की स्वच्छ भारत अभियान को पूरा करने के लिए देश के कई अधिकारी कर्मचारी अपने ऑफिस की सफाई के लिए खुद को झाड़ू लगाने से भी वंचित नहीं है लेकिन स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी और प्रभारी के ऊपर ना तो प्रधानमंत्री जी का स्वच्छ भारत अभियान से कोई मतलब है और ना ही स्वछता से. तभी तो खुद डॉक्टर साहब का केबिन और प्रभारी साहब की केबिन के साथ साथ जिस कुर्सी पर बैठ के मरीजों को देखते हैं उस पर भी धूल मिट्टी का आलम है.

इतना ही नहीं आपको जानकर आश्चर्य होगा की जब इस बात को गोपालगंज सदर अस्पताल के सिविल सर्जन महोदय से कहा गया तो उन्होंने कैमरे के सामने बोलने से इनकार करते हुए कहा वह बेचारा क्या कर सकता है उसके पास साफ करने वाला कोई नहीं है. गंदगी के कारण इस अस्पताल में ना तो कोई मरीज आता है और ना ही समय से डॉक्टर और अगर आप ही गए डॉक्टर साहब तो अंदर अपने केबिन में बैठने के बजाय अस्पताल के प्रांगण में ही घूम फिर कर अपना डिप्टी पूरा करके चले जाते हैं. सबसे बड़ी जो बात है यह है की माननीय प्रधानमंत्री जी की स्वच्छ भारत अभियान की बयार गांव गांव गली गली तक पहुंचा लेकिन आखिर क्या कारण है इस अभियान की हल्का असर भी नहीं हुआ इस अस्पताल के कर्मचारी और प्रभारी के ऊपर. जिला में बहुत से ऐसे सरकारी अस्पताल है स्कूल है जहां पर सफाई कर्मी के नहीं रहने के बावजूद वहां मौजूद पर भारी और कर्मचारी अपने वेतन से 100 200 रूपया निकालकर एक सफाई कर्मी को रखे हैं जोकि इनकी ऑफिस को साफ रखता है और वह खुद से भी सर सफाई करते हैं और हर संभव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने में लगे हैं लेकिन सबसे बड़ी सवाल यह है की इस अस्पताल के कर्मचारी और प्रभारी के ऊपर इस सफाई जैसे सब लोग की कोई अहमियत नहीं है और ना ही जिला के किसी बड़े अधिकारी का डर. क्योंकि अगर डर रहता तो हालात यह नहीं रहता.

कारण जो भी हो समस्या जो भी हो लेकिन परेशानी आम जनता को ही है जिसको सुनने वाला कोई नहीं है और इसी तरह की अस्पतालों की व्यवस्था के कारण आम आदमी प्राइवेट अस्पतालों में जाकर अपना इलाज कराने को मजबूर हैं जिसके एवज में प्राइवेट अस्पताल के व्यवस्थापक द्वारा मोटी से मोटी रकम मरीजों से वसूल रहे हैं.

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