सरकार नही दे रही है शिक्षा स्तर पर ध्यान,छात्र-छात्रों की जन्दगी अधर में – आदित्य
इस वार बिहार में चल रहे इंटर के परीक्षा से ऐसा लग रहा है कि बिहार कदाचार हो रहा है। रोज सुनने को मिलता है कि आज इतने छात्र छात्रा को परीक्षा से कदाचार के आरोप में निष्काशित किया गया है। अखवारों में भी पढ़ने को मिलता है कि प्रशासन कदाचार मुक्त परीक्षा कराने के लिए कटिवद्ध है।
1 मार्च से मैट्रिक का भी परीक्षा शुरू हो रहा है उसमे भी छात्र छात्राओं को निष्काशित कर सरकार ये दिखाने का प्रयास करेगी कि प्रशासन शिक्षा में सुधार कर करा है। तो क्या इससे यह समझ लिया जाये कि बिहार के शिक्षा व्यवस्था में सुधार आ रहा है? क्या सरकार के इस कदम से शिक्षा में सुधार संभव है? इसका उत्तर होगा “कदापि नहीं!” सरकार के इस कदम से शिक्षा में कभी सुधार नहीं आ सकता है।
विभिन्न इंटर स्तरीय कॉलेजो और उच्च विद्यालयों में शिक्षक की घोर कमी है जिसके कारण बच्चों को शिक्षा नहीं मिल पाता है और वें परीक्षाओं में कदाचार करने को वाध्य होते हैं। उनके पास इसके आलावा दूसरा और कोई रास्ता नहीं रहता है।
यदि सरकार शिक्षा व्यवस्था को सच में ठीक करना चाहती है तो पहले सभी विद्यालयों में योग्य शिक्षकों की बहाली करे तथा नियमित कक्षा संचालन सुनिश्चित करे। यदि सरकार ये नहीं करती है और छात्र छात्राओं को इसी तरह गिरफ्तार करती रहेगी तो ये छात्र छात्राओं के साथ घोर अन्याय है।