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बैंकों की हड़ताल रहेगी शुक्रवार को

देश भर में बैंकिंग सेवाएं शुक्रवार को प्रभावित रहेगी, क्योंकि करीब 40 निजी और सरकारी बैंकों के 10 लाख कर्मी केंद्र सरकार की बैंकिंग नीतियों के विरोध में हड़ताल पर रहेंगे। एक यूनियन नेता ने गुरुवार को यह जानकारी दी। ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) के महासचिव सी.एच. वेंकटाचलम ने आईएएनएस को बताया, “हड़ताल होगी। हमें बैंको या इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) द्वारा यूएफबीयू (युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन) के 9 यूनियन को हड़ताल में शामिल होने से रोकने के बारे में कोई खबर नहीं है।”

इस महीने की शुरुआत में प्रमुख बैंक यूनियनों ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अपनी 12 और 13 जुलाई को प्रस्तावित हड़ताल टाल दी थी।

बैंकिंग सेक्टर की यूनियनें पांच सरकारी बैंकों के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में एकीकरण और आईडीबीआई बैंक के निजीकरण के खिलाफ हड़ताल कर रही हैं।

बैंक यूनियन सरकार स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (एसबीबीजे), स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर (एसबीटी), स्टेट बैंक ऑफ पटियाला (एसबीपी), स्टेट बैंक ऑफ मैसूर (एसबीएम) और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद (एसबीएच) के एसबीआई में एकीकरण के खिलाफ हैं।

उन्होंने कहा, “इस हड़ताल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, पुरानी पीढ़ी के निजी बैंक और विदेशी बैंकों के करीब 80,000 शाखाओं के अधिकारी और कर्मचारी शामिल रहेंगे।”

उनके मुताबिक, बैंक देश में करीब 2 लाख एटीएम मशीनों में कैश डालने के बाद हड़ताल पर जाएंगे, ताकि लोगों को नगदी निकालने की सुविधा मिलती रहे।

उन्होंने कहा, “हम तब हड़ताल करना चाहते हैं जब संसद सत्र चल रही हो। इसलिए शुक्रवार को हड़ताल की जा रही है। उसके अगले दिन एक पूर्ण कामकाजी दिन है। इसलिए छुट्टियों के साथ हड़ताल करने का आरोप सही नहीं है।”

वेंकटाचलम ने बताया कि यह हड़ताल अनुचित बैंकिंग सुधार के उपाय के विरोध में किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि आईडीबीआई बैंक का निजीकरण करने और सरकार द्वारा अपनी पूंजी को 49 फीसदी से कम करने, सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों का एकीकरण, लेकिन निजी बैंकों का विस्तार, कॉरपोरेट समूहों को बैंकिंग लाइसेंस देने, फंसे हुए बड़े कर्जो की वसूली के लिए अपर्याप्त कदम उठाने और बकाएदारों और अन्य को रियायतें देने के खिलाफ यह हड़ताल आयोजित की जा रही है।

उन्होंने कहा, “हम मांग करते हैं जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवालों को आपराधिक मुकदमा चलाया जाए और उन्हें दंडित किया जाए।”

वेंकटाचलम ने कहा कि बकाएदार जानबूझकर कुल 58,792 करोड़ रुपया का कर्ज लौटा नहीं रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों का 31 मार्च 2016 तक कर्ज के रूप में फंसी हुई रकम 5,39,995 करोड़ रुपये है।

उन्होंने कहा, “लेकिन सरकार और आरबीआई उनके खिलाफ कड़े कदम नहीं उठा रही है। यहां तक बकाएदारों के नाम तक सार्वजनिक नहीं किए जा रहे हैं।”

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