गोपालगंज: फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर प्रतिबद्ध है स्वास्थ्य विभाग, प्रशिक्षण देकर किट का किया गया वितरण
गोपालगंज: फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। इसको लेकर विभिन्न स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में बुधवार को जिले के बरौली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 27 फाइलेरिया के मरीजों का चिकित्सकीय सेवा से लिंकेज किया गया। जिमसे रुपनछाप नेटवर्क के 14 सदस्यों व अन्य नॉन पीएसजी सदस्यों का उपचार किया गया। साथ ही एमएमडीपी का ट्रेनिंग दिया गया और साफ-सफाई के प्रति जागरूक किया गया। स्वास्थ्य विभाग के किट का भी वितरण किया गया जिसमे गमला, मगा, साबुन, क्रीम, तौलिया शामिल है।प्रशिक्षण कार्यक्रम डॉ वीके पासवान की अध्यक्षता में किया गया। कार्यक्रम में डॉ. विनोद कुमार यादव,बीएचएम अंचल अप्रतिम, बीसीएम नीरू कुमारी, बीबीडीएस शशि कुमार एवं केबीसी आशुतोष राय उपस्थित रहे।इस प्रशिक्षण के माध्यम से फाइलेरिया जैसे बीमारी की रोकथाम करके और इसको बढ़ने से रोका जा सकता है। कहा कि फाइलेरिया हो जाने पर लोगों में अपंगता बढ़ने लगती है। ऐसे में एमएमडीपी किट की सहायता से हाथीपांव की सूजन को कम किया जा सकता है। जिससे चलने फिरने में आसानी होती है।
डॉ वीके पासवान ने कहा कि फाइलेरिया बीमारी सार्वजनिक स्वास्थ्य की एक गंभीर समस्या है। यह जान तो नहीं लेती है, लेकिन जीवन को बोझिल एवं कष्टकारी जरुर कर देती है। समान्यत: इसे हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है। हाथीपांव फाइलेरिया का सबसे विकराल स्वरूप है जिससे एक सामान्य व्यक्ति कई किलोग्राम का अतिरिक्त वजन अपने पैरों में लादकर जीने पर मजबूर हो जाता है। हाथीपांव शारीरिक अपंगता में तब्दील हो जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार फाइलेरिया विकलांगता का दूसरा बड़ा कारण है।
फाइलेरिया संक्रमित होने पर व्यक्ति को हर महीने एक-एक सप्ताह तक तेज बुखार, पैरों में दर्द, जलन, के साथ बेचैनी होने लगती है। एक्यूट अटैक के समय मरीज को पैर को साधारण पानी में डुबाकर रखना चाहिए या भीगे हुए धोती या साड़ी को पैर में अच्छी तरह लपेटना चाहिए।