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सड़क दुर्घटना में खुल कर करे मदद, पुलिस नहीं करेगी बेवजह परेशान !

सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ित लोगों की मदद करने वाले नेक लोगों को पुलिस या किसी अन्य अधिकारी द्वारा बेवजह परेशान किए जाने से बचाने के लिए उच्चतम न्यायालय ने आज इस संदर्भ में केंद्र के दिशानिर्देशों को मंजूरी दे दी है। न्यायाधीश वी गोपाला गौड़ा और न्यायाधीश अरूण मिश्रा की पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि वह इन दिशानिर्देशों का व्यापक प्रचार करे ताकि मुसीबत के समय दूसरों की मदद करने वाले नेक लोगों को कोई अधिकारी प्रताड़ित न कर पाए।

सड़क हादसों पर ये गाइडलाइंस हैं-

-इन गाइडलाइंस के मुताबिक, सड़क हादसों पर पुलिस को बुलाने पर या रिपोर्ट दर्ज कराने वाले प्रत्यक्षदर्शी को अपना नाम बताने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। संपर्क की जानकारी (कॉन्टैक्ट इन्फॉर्मेशन) के लिए भी उससे जबर्दस्ती नहीं की जा सकती।

-प्रत्यक्षदर्शी को लंबी और जटिल कानूनी प्रक्रियाओं से बचाने के लिए पुलिस को एकमात्र सत्र की इजाजत होगी, वह भी तब जब प्रत्यक्षदर्शी अपना नाम स्वतः बता दे।

-अगर प्रत्यक्ष रूप से पेशी में समस्या हो तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिग की सहूलियत भी दी जाएगी।

-अगर कोई डॉक्टर सड़क हादसे के पीड़ित का इलाज करने से इनकार करता है तो वह पेशेवर रूप से दुर्व्यवहार (प्रोफेश्नल मिस्कंडक्ट) का दोषी होगा।

-सभी अस्पतालों को अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषा में यह लिखना होगा कि जो भी शख्स किसी घायल व्यक्ति को अस्पताल लेकर आएगा उसे रोका नहीं जाएगा और न ही उससे किसी तरह की धनराशि ली जाएगी।

-जो भी अस्पताल इन गाइडलाइंस का पालन नहीं करेगा उसपर राज्य सरकार द्वारा जुर्माना लगाया जाएगा।

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