पटना हाईकोर्ट से फ़र्ज़ी तरीके से ज़मानत लेने के एक सनसनीखेज मामले का भंडाफोड़
पटना हाई कोर्ट से फ़र्ज़ी तरीके से ज़मानत लेने का दूसरा मामले का खुलासा हुआ है। मामले की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति शिवाजी पाण्डेय ने इस फर्ज़ीवाड़े को पकड़ते हुए सीबीआई जांच के आदेश दे दिए है।उम्मीद की जा रही है कि अगले हफ्ते जाँच शुरू करेगी केंद्रीय जांच एजेंसी।
मामले में वैशाली ज़िले में सुबोध सिंह ने गांजा तस्करी के ज़ुर्म में तीन मामलों में बेल पटना हाई कोर्ट से लिया था। तीनो मामले एनडीपीएस से जुड़े थे। अभियुक्त ने प्राथमिकी में दर्ज़ गांजेे की मात्रा में हेरफेर कर हाईकोर्ट की आँखों में धुल झोंकते हुए बेल प्राप्त कर लिया था। 22 किलो गांजा को 0.022 किलो अर्थात 22 ग्राम बना दिया। इस साज़िशन और गलत मतलब खातिर की गई कारिस्तानी में वकील साहेब की महती भूमिका और मिलीभगत रही। सीनियर एडवोकेट छोड़ अन्य जो वकील इस मामले में आरोपी सुबोध सिंह की तरफ से जिरह और बहस में शामिल थे उनका एडवोकेट ऑन रेकॉर्ड को निलंबित करने का कोर्ट ने आदेश जारी किया है। साथ ही अभियुक्त के बेल बांड को रद्द करते हुए उसके खिलाफ नन बेलेबल वारंट निर्गत करने का आदेश दिया है।
वही सीबीआई के अधिकारी अगले हफ्ते जांच शुरू कर देंगे। मामले में आरोपी को माननीय कोर्ट द्वारा बेल हो जाने के बाद केंद्रीय इंटेलिजेंस अफसर ने हाईकोर्ट को सूचित किया की ज़मानत आदेश जिस तथ्य पर दिया गया है वो एफआईआर में है ही नही। वास्तविक एफ़आईआर में 22 किलो गांजा है दर्ज़ है। इसके त्वरित कार्यवाही करते हुए सीनियर एडवोकेट एन के अग्रवाल ने इस बात की सूचना कोर्ट को दी कि उन्हें जो एफ़आईआर एडवोकेट ऑन रेकॉर्ड ने उपलब्ध कराई थी उसी के आधार पर इन्होंने बहस किया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने स्वय मामले की प्रारम्भिक पड़ताल की तो मामले में फर्ज़ीवाड़े के तहत भयंकर घपला पाया गया है।